Jhulaghat Pithoragarh Uttarakhand
झूलाघाट : भारत और नेपाल के संबंधों को मजबूती से बांधे रखता है यह झूला पुल।


Jhulaghat Pithoragarh Uttarakhand : उत्तराखंड के पिथौरागढ़ शहर से करीब 35 किलोमीटर दूर भारत-नेपाल सीमा पर बसा एक छोटा सा शांत सुरम्य कस्बा , शोर मचा कर पास बहती काली नदी का क्रिस्टल-सा साफ पानी , भारत और नेपाल को अलग करता इसी काली नदी के ऊपर बना एक झूला पुल , यही पहचान है झूलाघाट की। काली नदी के ऊपर झूलते इसी पुल की वजह से इस जगह का नाम “झूलाघाट” पड़ा। इस पुल के माध्यम से लोग भारत से नेपाल और नेपाल से भारत आसानी से आ-जा सकते है। पुल के इधर (भारत वाले हिस्से में) और पुल के उधर (नेपाल वाले हिस्से में) एक छोटा सा बाज़ार भी है जहाँ भारतीय व नेपाली सामान और इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं खूब बिकती है। इसी पुल के माध्यम से दोनों देशों के लोग आर्थिक , सामाजिक और भावात्मक रूप से एक -दूसरे से जुड़े हुए है। दोनों देशों के लोगों के बीच बहुत ही मधुर “रोटी -बेटी” का संबंध भी है। यह झुलापुल दोनों देशों के संबंधों को मजबूती से बांधे रखने में सच में एक सेतु का ही काम करता है। भारत – नेपाल के बीच काली नदी के ऊपर झूलता एक पुराना सा पुल , हरे-भरे जंगल , सीढ़ीनुमा खेत , टेड़ेमेडे रास्ते झूलाघाट की प्राकृतिक सुंदरता को कई गुना बड़ा देते है और कल -कल कर पास बहने वाली काली नदी शांति व सुकून का एहसास कराती है।
ईस्ट इंडिया कंपनी ने बनाया था यह झूलापुल
भारत-नेपाल को जोड़ने वाले इस अंतरराष्ट्रीय पैदल झूलापुल का निर्माण सन 1830 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने करवाया था। हालाँकि उस समय यहां कोई बस्ती नहीं थी। लेकिन बाद में पुल से भारत – नेपाल आसानी से आने -जाने की सुविधा को देखकर भारत और नेपाल के लोग काली नदी पर बने इस पुल के किनारे आकर बसने लगे जो आगे चलकर दोनों तरफ एक खूबसूरत कस्बे के रूप में बदल गया। यह झूलापुल 194 सालों बाद आज भी बहुत आश्चर्यजनक रूप से बड़ी मजबूती से टिका है। नेपाल और भारत की एक बड़ी आबादी इसी पुल पर निर्भर है। इस पुल से रोजाना सैकड़ों लोग इधर -उधर आते – जाते रहते हैं। दोनों देशों की सीमा पर रहने वाले भारतीय व नेपाली लोगों के बीच में “रोटी-बेटी” का संबंध है। दोनों देशों के लोगों के बीच आराम से वैवाहिक संबंध बन जाते हैं। यहां दोनों देशों की साझी संस्कृति भी देखने को मिलती है। ट्रैकिंग , रीवर राफ्टिंग व मछली पकड़ने के शौक़ीन लोगों के लिए यह एक शानदार जगह है।
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Dharchula Pithoragarh Uttarakhand : जहाँ एक पुल भारत और नेपाल को अलग करता है।
जूलाघाट और झूलाघाट आना जाना बहुत आसान।
झूलाघाट में काली नदी के ऊपर बना यह झूलापुल भारत और नेपाल को अलग करता है यानि पुल के इस तरफ भारत (जिसे झूलाघाट कहा जाता है) और पुल के उस तरफ नेपाल (जिसे जूलाघाट / जुलघाट कहा जाता है)। यह जगह भारत और नेपाल के व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यहाँ पर दोनों देशों के लोगों की परंपराएं , संस्कृति , जीवनशैली , रीति -रिवाज , गीत -संगीत और खान -पान लगभग एक जैसा ही है । यहाँ लोगों को पासपोर्ट या वीज़ा की सख्त जांच के बिना ही सीमा पार आने – जाने की अनुमति है। लेकिन बड़े सामानों के लिए कस्टम चेकपॉइंट बना है। झूलापुल की सुरक्षा के लिए एसएसबी (SSB) तैनात रहती है। कोई भी नागरिक अपना पहचान पत्र दिखाकर भारत से नेपाल और नेपाल से भारत आसानी से आ – जा सकता है। नेपाल के सीमावर्ती गांवों में बसे लोग रोजगार और जरूरी समान की खरीददारी के लिए भारत पर ही निर्भर रहते हैं ।
झूलाघाट आने का सही समय (Best Time To Visit In Jhulaghat)
पहाड़ी क्षेत्र के साथ -साथ घाटी क्षेत्र होने के कारण झूलाघाट में थोड़ी बहुत गर्मी रहती है। आप मार्च से जून तक फिर सितंबर से दिसंबर तक यहाँ आ सकते हैं । वैसे यहाँ वर्ष के किसी भी महीने में आया जा सकता है।
ध्यान में रखने योग्य बातें
झूलाघाट देखने योग्य जगह है। आप यहाँ बिना किसी वीजा या पासपोर्ट के नेपाल व भारत दोनों जगह आराम से घूम सकते है। अगर आप यहाँ एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए। फोटोग्राफी के लिए एक अच्छा सा कैमरा अपने साथ अवश्य रखें।
कैसे पहुँचें झूलाघाट ( How To Reach Jhulaghat)
कितने दिन के लिए आए (Suggested Duration)
झूलाघाट अपने आप में बहुत ही सुन्दर कस्बा है और उसके आस -पास भी कई सुंदर धूमने लायक जगहें है जहाँ आप जा सकते हैं। इसीलिए यहाँ आप अपने हिसाब से अपना समय बिता सकते हैं।
क्यों आए झूलाघाट
मौसम (Weather)
घाटी में होने के कारण गर्मियों में झूलाघाट में थोड़ी गर्मी तो रहती है लेकिन मौसम फिर भी सुहाना रहता है। आप यहां मार्च से लेकर जून तक और सितंबर से लेकर दिसंबर तक कभी भी आ सकते हैं। अगर आप पिथौरागढ़ में कुछ दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए। फोटोग्राफी के लिए एक अच्छा सा कैमरा अपने साथ अवश्य रखें। ट्रैकिंग के शौक़ीन अपने साथ एक अच्छी क्वालिटी का जूता या स्पोर्ट शू अवश्य रखें।