Thal Kedar Temple Pithoragarh Uttarakhand
थल केदार मंदिर : स्थाकिल पर्वत चोटी पर हजारों सालों से साक्षात विराजमान हैं भगवान भोलेनाथ।


Thal Kedar Temple Pithoragarh Uttarakhand : उत्तराखंड के पिथौरागढ़ शहर से करीब 16 किलोमीटर दूर एक ऊँची पहाड़ी की चोटी पर स्थित है पवित्र थल केदार मंदिर । भगवान भोलेनाथ को समर्पित यह प्राचीन शिव मंदिर पूरे सोर घाटी के लोगों के लिए एक पवित्र तीर्थ स्थान है। समुद्र तल से लगभग 2480 मीटर की ऊंचाई पर स्थित थल केदार मंदिर में एक संकीर्ण मार्ग यानि पतली पहाड़ी पगडंडी से होकर पहुंचा जाता है। स्कंद पुराण में इस पर्वत का “स्थाकिल पर्वत” और इस मंदिर का “स्थलकेदार” नाम से उल्लेख मिलता है। वैसे तो यहाँ श्रद्धालु हर दिन दर्शन को पहुंचते हैं मगर शिवरात्रि की तो बात ही अलग है। शिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए यहाँ भक्तों का मेला लगा रहता हैं। मंदिर अत्यधिक ऊंचाई में स्थित होने के कारण यहाँ से जैसे बद्रीनाथ , केदारनाथ , आपी -नाम्पा , त्रिशूल , नंदादेवी व पंचचूली जैसी चोटियों के दर्शन आराम से किये जा सकते हैं। यहाँ से पूर्वी कुमाऊँ का सम्पूर्ण भूभाग दिखाई देता है।
अटूट आस्था व विश्वास का केंद्र है थल केदार मंदिर
पवित्र थल केदार मंदिर में भगवान शिव लिंग रूप में साक्षात विराजमान है। इसीलिए सोर घाटी के लोगों के लिए यह मंदिर अटूट आस्था व विश्वास का केंद्र है। वैसे तो यहाँ हर रोज भक्तजन भगवान शिव के दर्शन करने आते रहते हैं मगर नवरात्रि व शिवरात्रि को यहाँ भक्तों का मेला लगा रहता है। माना जाता है कि भगवान शिव भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। बांज , बुराँज , मोरु और खर्सू के घने जंगल , खुली ताजी हवा , पक्षियों का मधुर कलरव , अकूत प्राकृतिक सौंदर्य , सामने ऊंची – नीचीं हिमालयी पर्वतश्रृंखला की चोटियाँ , सीढ़ी नुमा पहाड़ी खेत – खलिहान , सुंदर गाँव और कुमाऊंनी शैली में बने घरों का मनोरम दृश्य थल केदार मंदिर से साफ दिखाई देता है।
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Dharchula Pithoragarh Uttarakhand : जहाँ एक पुल भारत और नेपाल को अलग करता है।
थल केदार आने का सही समय (Best Time To Visit In Thal Kedar )
थल केदार मंदिर एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। इसीलिए यहाँ गर्मियों में भी बहुत अधिक गर्मी नही रहती है। आप मार्च से जून तक फिर सितंबर से दिसंबर तक यहाँ आ सकते हैं । वैसे यहाँ वर्ष के किसी भी महीने में आया जा सकता है।
ध्यान में रखने योग्य बातें
थल केदार मंदिर में मंदिर के नियमों का पालन करें। बिना अनुमति के मंदिर की किसी भी वस्तु को न छुएं। थल केदार मंदिर पिथौरागढ़ शहर से करीब 16 किलोमीटर दूर एक ऊँची पहाड़ी की चोटी पर स्थित है जिसमें से लगभग 8 किलोमीटर का रास्ता वाहन से तय किया जा सकता हैं मगर 8 किलोमीटर का सफर एक पतली पगडंडी से पैदल ही तय करना पड़ता है। वैसे मंदिर तक पहुँचने के कई मार्ग हैं। बड़ाबे गाँव से लगभग 4 किलोमीटर पैदल चलकर मंदिर तक पहुँचा जा सकता है। पिथौरागढ़ से बड़ाबे गाँव तक आप किसी भी प्राइवेट वाहन से पहुँच सकते हैं। अगर आप पिथौरागढ़ में एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए। फोटोग्राफी के लिए एक अच्छा सा कैमरा अपने साथ अवश्य रखें। हो सके तो मंदिर जाने वक्त कुछ खाने -पीने का सामान व पानी की बोतल अपने साथ रखें।
कैसे पहुँचें थल केदार मंदिर ( How To Reach Thal Kedar)
कितने दिन के लिए आए (Suggested Duration)
थल केदार मंदिर एक पहाड़ की चोटी पर बहुत ही सुन्दर , शांत व एकांत जगह पर स्थित है। एक पतली पगडंडी से लम्बी चढ़ाई चढ़ने के बाद जब हम इस जगह पर पहुँचते हैं तो मन में बहुत ही शांति व सुकून का अनुभव होता है। खुली ताजी हवा व शांत सुरम्य वातावरण वाली इस शानदार जगह पर आप अपने हिसाब से अपना समय बिता सकते हैं।
क्यों आए थल केदार मंदिर
मौसम (Weather)
थल केदार मंदिर में गर्मियों में मौसम बहुत सुहाना रहता है। आप यहां मार्च से लेकर जून तक और सितंबर से लेकर दिसंबर तक कभी भी आ सकते हैं। अगर आप पिथौरागढ़ में कुछ दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए। फोटोग्राफी के लिए एक अच्छा सा कैमरा अपने साथ अवश्य रखें। ट्रैकिंग के शौक़ीन अपने साथ एक अच्छी क्वालिटी का जूता या स्पोर्ट शू अवश्य रखें।