Tribal Heritage Museum In Munsiyari Uttarakhand
अपने पूर्वजों की समृद्ध सभ्यता व संस्कृति के प्रति सम्मान का प्रतीक है मास्टरजी संग्रहालय

Tribal Heritage Museum In Munsiyari Uttarakhand : उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी शहर से लगभग 2 किलोमीटर दूर नानसेन गाँव में स्थित है जनजातीय विरासत संग्रहालय । यह एक निजी संग्रहालय हैं जिसकी स्थापना डा. शेर सिंह पांगती जी ने की थी जो खुद भी शिक्षक , लेखक व ट्रैकर्स रह चुके हैं। इसीलिए इसे “मास्टरजी म्यूजियम” भी कहा जाता है। उन्होंने अपनी पूर्वजों की धरोहर तथा अपनी सभ्यता व संस्कृति से जुड़ी अनेक वस्तुओं को सहेज कर रखा है जो अपनी सभ्यता और संस्कृति के प्रति उनके सम्मान को दर्शाता है। इनमें मुख्य रूप से घर व खेत में काम आने चीजें , हथियार , ऊनी कपड़े बनाने के चरखे , भोटिया लोगों में महिलाओं व पुरुषों द्वारा पहने जाने वाले आभूषण आदि हैं। ये सभी देखने योग्य चीजें हैं जिनसे हमें उस क्षेत्र की सभ्यता व संस्कृति के बारे में पता चलता है। डा. शेर सिंह पांगती जी ने इस म्यूजियम की स्थापना कर अपनी जनजाति को पहचान व सम्मान दिलाने का काम किया है। इस म्यूजियम के जरिये पर्यटकों को भी इस क्षेत्र की सभ्यता व संस्कृति के बारे में जानने का मौका मिलता है। यह म्यूजियम डा. पांगती जी की अपनी समृद्ध जनजाति विरासत को सहेजने का जूनून , , अथाह मेहनत , सम्मान , दूरदृष्टि व धैर्य का प्रतीक है।
क्या करें ?
यह एक निजी संग्रहालय है। इसीलिए संग्रहालय में जाने से पूर्व अनुमति ले लें। किसी भी वस्तु से छेडछाड़ न करें। फोटोग्राफी का आनंद उठाइये मगर पहले अनुमति ले लें । संग्रहालय में रखी वस्तुओं के द्वारा उस क्षेत्र की सभ्यता व संस्कृति को जानने का प्रयास करें।
ध्यान में रखने योग्य बातें
संग्रहालय में शांति बनाये रखें। संग्रहालय के नियमों का पालन करें। आप यहाँ मार्च से लेकर जून तक और सितंबर से लेकर दिसंबर तक कभी भी आ सकते हैं। अगर आप यहाँ एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए। कुछ गर्म कपड़े , फोटोग्राफी के लिए एक अच्छा सा कैमरा व पैदल चलने के लिए एक अच्छी क्वालिटी का जूता अपने साथ अवश्य रखें।
अवधि
संग्रहालय व उसके आस -पास आप अपने हिसाब से समय बिता सकते हैं। संग्रहालय सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है।