Gangotri Temple Uttarkashi Uttarakhand
छः महीने का ग्रीष्मकालीन प्रवास यहाँ होता है माँ गंगा का।


Gangotri Temple Uttarkashi Uttarakhand : देवदार व चीड़ के घने जंगलों से घिरा हिमालयी क्षेत्र , बर्फ से ढकी ऊँची – ऊँची पहाड़ियां , माँ गंगा का पवित्र मंदिर , मंदिर से आती मंत्रों व धंटों की मधुर ध्वनि , माँ गंगा की आरती करते हजारों भक्त , भगीरथ शिला , ठंडी ताजी हवा , कल -कल कर शान्ति से बहती भागीरथी नदी , शांत – सुरम्य आध्यत्मिक वातावरण व ईश्वर भक्ति में लीन सैकड़ों लोग , यही तो पहचान है गंगोत्री धाम की। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के उत्तरकाशी शहर से लगभग 97 किलोमीटर दूर स्थित है गंगोत्री धाम और इसी गंगोत्री धाम में स्थित है सफेद संगमरम के पत्थर से निर्मित माँ गंगा का पवित्र गंगोत्री मंदिर। लगभग 3,100 मीटर (10,200 फीट) की ऊंचाई पर स्थित नागर शैली में बना यह पवित्र गंगोत्री मंदिर भागीरथी नदी के बायें किनारे पर बना है। यह उत्तराखंड के चार धामों में से एक पवित्र धाम है। हिमालयी क्षेत्र होने के कारण जाड़ों में यह स्थान पूरी तरह बर्फ से ढक जाता है जिस कारण गंगोत्री धाम के कपाट 6 महीने के लिए बंद हो जाते हैं और माँ गंगा पूरे धार्मिक रीति रिवाजों के साथ मुखवा गाँव स्थित अपने मायके मुखवा मंदिर में आ जाती हैं। वो पूरे शीतकाल में (6 महीने) यही प्रवास करती हैं।
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गौमुख है भागीरथी नदी का उद्गम स्थान।
गंगोत्री धाम से लगभग 19 किलोमीटर की दूरी पर गौमुख स्थित है जहां से भागीरथी नदी निकलती है। गौमुख गंगोत्री ग्लेशियर के ठीक नीचे तलहटी में स्थित है जो हिमालय के सबसे बड़े ग्लेशियरों में से एक है। यही भागीरथी नदी यहाँ से बहती हुई देवप्रयाग में अलकनंदा नदी के साथ मिल जाती है जिसके बाद इसे गंगा नदी कहा जाता है। माना जाता है कि गंगा नदी का पानी कभी खराब नही होता है। गंगोत्री मंदिर के पास ही एक भगीरथ शिला भी है। कहा जाता है कि इसी शिला में बैठकर महान तपस्वी राजा भगीरथ ने भगवान भोलेनाथ की तपस्या कर देवनदी माँ गंगा को स्वर्ग से धरती पर उतारा था। इसी शिला से थोड़ी ही दूरी पर स्थित है सूर्यकुंड जहाँ एक शिवलिंग भी है जो सर्दियों में भागीरथी नदी का जलवेग कम होने पर ही दिखाई देता है। माना जाता है कि यहाँ पर राजा भगीरथ भगवान सूर्य को जल अर्पित करते थे। गंगोत्री धाम से गौमुख तक ट्रैकिंग कर आराम से पहुँचा जा सकता है। 18वीं सदी में गोरखा कमांडर अमरसिंह थापा ने माँ गंगा के सम्मान में गंगोत्री मंदिर का निर्माण करवाया था। मंदिर के गर्भगृह में जीवनदायिनी माँ गंगा के साथ – साथ मां यमुना , मां अन्नपूर्णा , मां सरस्वती , मां लक्ष्मी और राजा भगीरथ की मूर्तियां भी मौजूद है।
पूरे धार्मिक रीति रिवाजों के साथ माँ गंगा 6 महीने के लिए अपने मायके जाती है।
उच्च हिमालयी क्षेत्र गंगोत्री धाम में भारी बर्फवारी होने की वजह से जब गंगोत्री धाम के कपाट बंद हो जाते हैं तब दीपावली के पावन अवसर पर (भाई दूज के दिन) एक विशाल धार्मिक शोभायात्रा व गढ़वाल राइफल्स के आर्मी बैंड के साथ माँ गंगा की स्वर्ण प्रतिमा (भोगमूर्ति) को मुखवा गाँव के मुखवा मंदिर में पूरे धार्मिक रीति रिवाजों के साथ लाया जाता है। माँ गंगा पूरे शीतकाल के दौरान (6 महीने) यही प्रवास करती है और फिर ग्रीष्मकाल में अक्षय तृतीया के ठीक एक दिन पहले फिर एक विशाल शोभायात्रा के साथ मुखवा गाँव से गंगोत्री धाम को एक बेटी की तरह विदा होती है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस दौरान पूरा गाँव माँ गंगा की भक्ति में डूबा रहता है और देश – विदेश से भी श्रद्धालु माँ गंगा के दर्शन व उनकी पूजा – अर्चना करने इस गाँव में पहुँचते हैं। पूरे गाँव में उत्स्व व हर्षोउल्लास का माहौल रहता है।
क्या करें ?
गंगोत्री मंदिर में जीवनदायिनी माँ गंगा के दर्शन कीजिए। गंगोत्री धाम व उसके आस -पास के प्राकृतिक सौंदर्य का मजा लीजिए। भव्य हिमालयी पर्वत श्रृंखलाओं के दर्शन कीजिए। बर्फ से ढकी चोटियों को निहारिये। गौमुख तक ट्रैकिंग कीजिए। पर्वतारोहण , ट्रैकिंग , कैंपिंग , राफ़्टिंग का मजा लीजिए। खूब फोटोग्राफी कीजिए । इसके अलावा भी गंगोत्री धाम व उत्तरकाशी शहर के आस -पास कई धूमने लायक सुंदर जगहें है जैसे विश्वनाथ मंदिर , यमुनोत्री धाम , शनि मंदिर , गंगोत्री मंदिर , धराली , मुखवा , गंगनानी , सातताल (सत्तल) , बागोरी , हर्षिल , गरतांग गली , केदरकांठा , नेलांग घाटी आदि जहाँ आप जा सकते हैं।
गंगोत्री मंदिर आने का सही समय (Best Time To Visit In Gangotri Temple)
गंगोत्री धाम एक हिमालयी पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है। जाड़ों में यह पूरा क्षेत्र बर्फ से ढक जाता है जिस कारण गंगोत्री धाम के कपाट 6 महीने के लिए बंद हो जाते हैं। इसीलिए गंगोत्री धाम यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून और सितंबर – अक्टूबर के बीच में है। अगर आप गंगोत्री धाम में एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए।
ध्यान में रखने योग्य बातें
अगर आप यहां पर्वतारोहण , ट्रैकिंग , कैंपिंग करना चाहते हैं तो पहले इसके बारे में जानकारी अवश्य लें । गंगोत्री धाम में पैदल चलने हेतु अच्छी क्वालिटी का जूता अवश्य पहनें। अगर आप गंगोत्री मंदिर में एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book अवश्य कर लीजिए।
कैसे पहुँचें गंगोत्री मंदिर / धाम ( How To Reach Gangotri Temple)
कितने दिन के लिए आए (Suggested Duration)
गंगोत्री मंदिर / धाम अपने आप में बहुत ही सुन्दर , सुरम्य , शांत व आध्यात्मिक हिमालयी क्षेत्र है जहाँ देखने लायक बहुत जगहें हैं । इसके अलावा भी इसके आस -पास कई धूमने लायक सुंदर जगहें है जैसे विश्वनाथ मंदिर , गंगोत्रीधाम , डोडीताल , गोमुख , यमुनोत्री , गरंताग गली , केदरकांठा , नेलांग घाटी आदि जहाँ आप जा सकते हैं। इसीलिए यहाँ आप अपने हिसाब से अपना समय बिता सकते हैं। अगर आप गंगोत्री मंदिर में एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए।
क्यों आयें गंगोत्री मंदिर / धाम ?
मौसम (Weather)
चारों तरफ हरे -भरे या बर्फ से ढके पहाड़ , घने जंगल , धुमावदार घाटियाँ व भागीरथी नदी होने के कारण गंगोत्री मंदिर / धाम का मौसम गर्मियों में भी सुहाना रहता है। आप यहां मार्च से लेकर जून तक और सितंबर – अक्टूबर तक कभी भी आ सकते हैं। अगर आप गंगोत्री मंदिर / धाम में एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए। फोटोग्राफी के लिए एक अच्छा सा कैमरा अपने साथ अवश्य रखें । ट्रैकिंग के शौक़ीन अपने साथ एक अच्छी क्वालिटी का जूता या स्पोर्ट शू अवश्य रखें।