Milam Glacier Trek Munsiyari Uttarakhand
मिलम ग्लेशियर ट्रेक : ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए एक शानदार ट्रेक

Milam Glacier Trek Munsiyari Uttarakhand : उत्तराखंड के कुमाऊँ हिमालय में समुद्रतल से लगभग 4250 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है बेहद खूबसूरत मिलम ग्लेशियर। मिलम ग्लेशियर उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी क्षेत्र के अंतर्गत आता है। मिलम ग्लेशियर नन्दा देवी से 15 किलोमीटर ( 9 मील) पूर्वोत्तर में है। यह ग्लेशियर लगभग 37 किलोमीटर (14 वर्गमील) में फैला है और 16 किलोमीटर (10 मील) लम्बा है। यह कुमाऊँ का सबसे बड़ा ग्लेशियर है और गोरी गंगा नदी इसी ग्लेशियर से निकलती है। मिलम ग्लेशियर का नाम यहाँ से महज 6 किलोमीटर दूर स्थित “मिलम गांव” के नाम पर रखा गया है। मिलम ग्लेशियर के लगभग 57 किलोमीटर लम्बे ट्रेक की शुरुआत फ़िलहाल मुनस्यारी से होती है। मुनस्यारी से लीलम (14 किलोमीटर) , लीलम से बुगडियार (12 किलोमीटर) , बुगडियार से मार्टोली (14 किलोमीटर) , मार्टोली से मिलम गाँव (11 किलोमीटर) और अंत में मिलम गाँव से मिलम ग्लेशियर (6 किलोमीटर) तक का यह शानदार चुनौती व रोमांचभरा ट्रेक है। यहाँ से आप हरदेओल , ऋषि और माउंट त्रिशूली पर्वत श्रृंखलाओं के शानदार दर्शन कर सकते है।
1962 में बंद कर दिया था मिलम ग्लेशियर
भारत-चीन युद्ध की वजह से मिलम ग्लेशियर को सन 1962 में बंद कर दिया गया। इसीलिये ट्रेकर्स या अन्य लोगों के लिए यहाँ जाना सम्भव नही था लेकिन सन 1994 में इसे फिर से खोल दिया गया। तबसे यह ग्लेशियर ट्रेकर्स के बीच काफी लोकप्रिय है। ट्रेकिंग करते वक्त ट्रेकर्स उस हिमालयीे क्षेत्र में होते हैं जो अद्भुत , अनदेखा व अनोखा मगर चुनौतियों से भरा है। ट्रैकिंग करते वक्त इस पूरे रास्ते में आपको जोहर घाटी की ग्रामीण सभ्यता , स्थानीय संस्कृति , खान -पान , रहन – सहन , मंदिर , भाषा और रीति -रिवाजों को समेटे गांवों से रूबरू होने का मौका मिलेगा। साथ ही साथ आप मिलम ग्लेशियर ट्रैक पर पड़ने वाले अद्भुत प्राकृतिक नजारों , भव्य व विराट हिमालयी चोटियों को भी हमेशा -हमेशा के लिए अपने दिल व कैमरे में कैद कर पायेंगे । अब आपको यहाँ ठहरने के लिए कुछ होमस्टे भी मिल जायेंगे।
जोहार घाटी का आखिरी गांव है मिलम गाँव
मिलम गाँव , भारत के उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले की जोहार घाटी में भारत – चीन सीमा के समीप स्थित आखिरी गांव है जहां से थोड़ी ही दूरी पर मिलम ग्लेशियर मौजूद है। वर्ष 1962 से पहले जोहार घाटी के लोग तिब्बत व्यापार करने के लिए मिलम गांव से आते – जाते थे। उस समय मिलम गांव व्यापार का मुख्य केंद्र था। हजारों की संख्या में जोहार घाटी के लोग मिलम से तिब्बत आते-जाते थे। भारत-चीन युद्ध के बाद यहां से भारत तिब्बत व्यापार खत्म हो गया। मिलम ग्लेशियर का नाम भी इसी “मिलम गांव” के नाम पर रखा गया है। हिमालय की तलहटी में बसा यह गांव अपनी प्राकृतिक खूबसूरती व मिलम ग्लेशियर के लिए जाने वाले ट्रेक के लिए जाना जाता है। मिलम ग्लेशियर जाने वाले ट्रेकर मिलम गांव की खूबसूरती देखकर अभिभूत हो उठते हैं। यहाँ पर पर्यटकों के ठहरने के लिए होमस्टे भी बने है। अब मिलम गाँव तक रोड भी पहुँच चुकी है।
क्या करें ?
मुनस्यारी से मिलम ग्लेशियर तक के ट्रैकिंग रूट का आनंद उठाइये मगर अपनी सेहत का ध्यान रखें। प्रकृति व फोटोग्राफी का आनंद उठाइये। ठंडी प्रदूषण मुक्त हवाओं का आनंद लीजिए। पहाड़ों में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अब कुछ संस्थाएं भी मिलम ग्लेशियर तक ट्रैक कम खर्चे में करा रही हैं आप चाहें तो ऐसी संस्थाओं की मदद ले सकते हैं। ये संस्थाएं होम स्टे में आपके ठहरने की व्यवस्था करती हैं जहाँ आप पहाड़ी रहन सहन , संस्कृति , खान – पान , लोक कला और स्थानीय उत्पादों को देख पायेंगे। इसके साथ ही आपको पहाड़ी खाना भी खिलाया जाएगा।
ध्यान में रखने योग्य बातें
अगर आपको ट्रैकिंग करना , ग्लेशियर देखना , प्रकृति के करीब रहना व उसे देखना पसंद है तो आपके लिए मिलम ग्लेशियर एक शानदार जगह है। आप यहाँ मार्च से लेकर मई तक जा सकते हैं। अगर आप मुनस्यारी में एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए। कुछ गर्म कपड़े , फोटोग्राफी के लिए एक अच्छा सा कैमरा व पैदल चलने के लिए एक अच्छी क्वालिटी का जूता अपने साथ अवश्य रखें।
अवधि
मिलम ग्लेशियर व उसके आस -पास आप अपने हिसाब से समय बिता सकते हैं।