Ghorakhal Golu Devta Temple Bhowali Near Nainital Uttarakhand
जहां मन्नत पूरी होने पर घंटियों चढ़ाते हैं लोग

उत्तराखंड को यूं ही देवभूमि नही कहा जाता है। यहां कण-कण में देवी-देवताओं का वास है। हिमालय की गोद में बसी यह देवभूमि अनेक ऋषियों – मुनियों की तपस्थली है। यहां भगवान भोलेनाथ का ससुराल भी हैं और निवास स्थान भी। उत्तराखंड में देवी-देवताओं के कई चमत्कारिक मंदिर भी हैं जिनकी प्रसिद्धि देश – विदेश तक फैली है। इन्हीं में से एक हैं कुमाऊं के प्रसिद्ध गोलू देवता का मंदिर , जो भवाली से करीब 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इनको “न्याय का देवता या गोल्ज्यू महाराज” भी कहा जाता है। यहाँ मान्यता हैं कि अगर किसी व्यक्ति के साथ सच में अन्याय हुआ हैं और वो गोल्ज्यू महाराज के मंदिर में जाकर न्याय की गुहार लगाता है तो गोल्ज्यू महाराज उसे कभी निराश नहीं करते हैं वो उसे न्याय दिलाते हैं। वो हमेशा ही न्याय करते हैं। यहां प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु अपनी मन्नत लेकर आते हैं और इस दरबार में अपनी चिट्ठी (पत्र ) लगा कर चले जाते हैं । मन्नत पूरी होने पर वो दुबारा आकर इस मंदिर में मन्नत पूरी होने की खुशी व भगवान का धन्यवाद करने के लिए घंटी व चूनर चढ़ा कर जाते हैं। इस मंदिर के दरवाजे से कभी कोई व्यक्ति निराश होकर वापस नहीं लौटता हैं। गोलू देवता सभी को न्याय देते हैं व सभी की मनोकामनाएं पूरा करते हैं ।
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लाखों लोगों के आस्था का केंद्र हैं गोल्ज्यू महाराज का मंदिर
घोड़ाखाल में गोलू (गोल्ज्यू) देवता का भव्य मंदिर लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है। मंदिर के अंदर सफेद घोड़े में सवार सिर पर सफेट पगड़ी बांधे गोलू देवता विराजमान है जिनके हाथों में धनुष बाण है। मंदिर प्रांगण में बंधी अनगिनत घंटियां इस बात का प्रमाण हैं कि न्याय के देवता सच में न्याय करते हैं और सबकी मनोकामना पूरी करते हैं। वैसे मंदिर प्रांगण में बंधी ये अनगिनत छोटी -बड़ी घंटियाँ मंदिर की शोभा में भी चार चाँद लगा देती हैं। इसीलिए इस मंदिर को “घंटियों वाला मंदिर” भी कहा जाता हैं। घोड़ाखाल का गोल्ज्यू मंदिर कुमाऊं का एक प्रसिद्ध मंदिर हैं और लाखों लोगों की असीम आस्था व विश्वास का केंद्र भी है।
घूमने का सही समय (Best Time To Visit Ghorakhal Temple)
पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण घोड़ाखाल मंदिर में गर्मी का बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ता है। आप मार्च से जून तक फिर सितंबर से दिसंबर तक यहाँ आ सकते हैं । वैसे गोल्ज्यू महाराज का आशीर्वाद लेने इस मंदिर में वर्ष के किसी भी महीने में आया जा सकता है।
ध्यान में रखने योग्य बातें
घोड़ाखाल मंदिर में मंदिर प्रशाशन द्वारा बनाये गये नियमों का पालन करें। जूते -चप्पल निर्धारित स्थान पर रखें। वर्षा होने पर यहाँ हल्की ठंड रहती हैं। इसीलिए गर्म कपड़े साथ में लाना न भूलें। अगर आप यहाँ एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले भवाली , भीमताल या भुजियाघाट में कोई Hotel Book कर लीजिए। फोटोग्राफी के लिए एक अच्छा सा कैमरा अपने साथ अवश्य रखें।
कैसे पहुँचें घोड़ाखाल मंदिर में ( How To Reach Ghorakhal Temple )
कितने दिन के लिए आए (Suggested Duration)
आप यहाँ एक से तीन घंटे आराम से बिता सकते हैं।
क्यों आए
मौसम (Weather)
घोड़ाखाल मंदिर – भवाली का तापमान गर्मियों में बहुत ज्यादा नहीं रहता हैं। मई और जून में भी इन जगहों का तापमान 25 से 30 डिग्री के बीच में ही रहता हैं। लेकिन जाड़ों में यह गिर कर 10 से 15 डिग्री के आस पास हो जाता है यानि यहाँ मौसम हमेशा सुहाना रहता हैं।आप यहां मार्च से लेकर जून तक और सितंबर से लेकर दिसंबर तक कभी भी आ सकते हैं। यहाँ हल्की वर्षा होने पर और दिसंबर -जनवरी में ठंड रहती हैं। इसीलिए अगर आप इस वक्त यहां आ रहे हैं तो गर्म कपड़े साथ में लाना न भूलें। अगर आप यहाँ एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए। फोटोग्राफी के लिए एक अच्छा सा कैमरा अपने साथ अवश्य रखें। ट्रैकिंग के शौक़ीन अपने साथ एक अच्छी क्वालिटी का जूता या स्पोर्ट शू अवश्य रखें।