Mostamanu Temple Chandak Pithoragarh Uttarakhand
मोस्टामानू मंदिर : इस मंदिर में विराजमान है साक्षात बारिश के देवता।

Mostamanu Temple Chandak Pithoragarh Uttarakhand : उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के पिथौरागढ़ शहर से सिर्फ 7 किलोमीटर दूर चंडाक गाँव में स्थित है मोस्टामानू मंदिर जहाँ मोस्टा देवता साक्षात विराजमान है। मोस्टा देवता को पूरे सोर घाटी के प्रमुख आराध्य देवों में से एक माना जाता है। इन्हें “जल या बारिश का देवता” माना जाता है। यहां के स्थानीय लोग अपनी सुख समृद्धि , शांति , सुरक्षा व खेतों में अच्छी फसल के लिए मोस्टा देवता की पूजा – आराधना करते हैं । यहाँ मान्यता है कि मोस्टा देवता इस क्षेत्र में आने वाली आपदाओं से लोगों की रक्षा करते हैं। मोस्टमानु देवता को नेपाल से लाकर यहां स्थापित किया गया है। यह मन्दिर काफी ऊंचाई वाली जगह में स्थित है । इसीलिए यहाँ से पूरे पिथौरागढ़ शहर , आस -पास के गाँवों , चारों तरफ की पहाड़ियों और घाटियों के अद्भुत प्राकृतिक दृश्य दिखाई देते है। पारंपरिक कुमाऊंनी शैली में बने मोस्टामानु मंदिर का परिसर एकदम शांत व विशाल है जहाँ भक्तजन सुकून का अनुभव करते है।
मोस्टामानु मंदिर में होता है भव्य मेले का आयोजन
मोस्टामानू मंदिर विशेष रूप से अपने वार्षिक धार्मिक मेले के लिए जाना जाता है जो आमतौर पर हर वर्ष भादों माह में ऋषि पंचमी के दिन (अगस्त या सितंबर माह में) होता है। इस मेले में बड़ी संख्या में भक्तजन दूर -दूर से मोस्टा देवता का आशीर्वाद लेने आते हैं। उस समय यहाँ विभिन्न अनुष्ठानों व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। यह मेला इस क्षेत्र की अनोखी लोक संस्कृति , समृद्ध परंपराओं , धार्मिक मान्यताओं और रीति-रिवाजों को दर्शाता है। इस मेले में मुख्य आकर्षण का केंद्र मोस्टा देवता का डोला होता है जो लोगों की असीम आस्था , विश्वास व श्रद्धा का अनोखा उदाहरण प्रस्तुत करता है। स्थानीय लोगों को इस मेले का खूब इंतजार रहता है। पुराने समय में यहां कृषि यंत्रों की खूब खरीददारी होती थी जिन्हें बेचने के लिए लोग नेपाल से भी आते थे। लेकिन अब समय के साथ काफी कुछ बदल गया है।
मंदिर परिसर में रखा पत्थर उठाना कोई खेल नही।
हर साल मोस्टामानू मंदिर परिसर में एक धार्मिक मेले का आयोजन किया जाता है। उस दिन मंदिर परिसर में रखे एक विशाल पत्थर को उठाने की लोगों में खास कर युवा वर्ग में होड़ लगी रहती है। मान्यता है कि इस पत्थर को उठाने वाले की मनोकामना अवश्य पूरी होती है। इसीलिए युवा सुबह से ही इस पत्थर को उठाने का प्रयास करते हैं। कुछ युवा इसमें सफल भी रहते हैं। माना जाता है कि मंदिर परिसर में रखे इस अद्भुत पत्थर को कोई बाहुबली भी हिला नहीं सकता। लेकिन साफ़ व पवित्र हृदय से महादेव का नाम लेकर उसे कोई भी उठा सकता है। ये शिव का चमत्कार ही तो है। इस मेले में सभी लोग बढ़ – चढ़ कर हिस्सा लेते हैं।
क्या करें ?
राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उत्तराखंड सरकार की महत्वाकांक्षी योजना “13 District 13 Destination / तेरह जिलों में तेरह डेस्टिनेशन के तहत” चंडाक मोस्टामानू को भी शामिल किया गया है। इसीलिए इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। मंदिर परिसर एकदम सड़क मार्ग से लगा हुआ है। इसीलिए आप मंदिर तक किसी भी वाहन से आसानी से पहुँच सकते हैं। मंदिर परिसर का वातावरण एकदम शांत व सुरम्य है। इसीलिए आप यहाँ आराम से पूजा , ध्यान व विश्राम कर सकते है। मंदिर में सुकून से बैठिये। मंदिर के चारों ओर सुंदर प्राकृतिक वातावरण है जिसे आप निहार सकते हैं। मंदिर परिसर में एक झूला लगा है जिसमें आप झूला झूल सकते है। प्रकृति व फोटोग्राफी का आनंद उठाइये।
ध्यान में रखने योग्य बातें
मंदिर में मंदिर के नियमों का पालन कीजिए। बिना अनुमति किसी भी वस्तु को न छुएं। मंदिर परिसर में शांति बनायें रखें। आप यहाँ मार्च से लेकर जून तक और सितंबर से लेकर दिसंबर तक कभी भी आ सकते हैं। अगर आप पिथौरागढ़ में एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए। कुछ गर्म कपड़े , फोटोग्राफी के लिए एक अच्छा सा कैमरा व पैदल चलने के लिए एक अच्छी क्वालिटी का जूता अपने साथ अवश्य रखें।
अवधि
मंदिर व उसके आस -पास आप अपने हिसाब से समय बिता सकते हैं।