Chandak Hill Pithoragarh Uttarakhand
देवदार के घने जंगल बढ़ाते हैं चंडाक की खूबसूरती।

Chandak Hill Pithoragarh Uttarakhand : उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के पिथौरागढ़ शहर से सिर्फ 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है चंडाक जो एक शानदार पर्यटन स्थल है। चंडाक प्राकृतिक रूप से बेहद सुंदर गाँव है जो एक ऊँची पहाड़ी पर स्थित है जिसे “चंडाक हिल्स” के नाम से जानते हैं। यह जगह अपनी आश्चर्यजनक प्राकृतिक सुंदरता , शानदार हिमालय दर्शन , ऊँचें -ऊँचें घने देवदार के जगंल , शांत सुरम्य वातावरण , ठंडी प्रदूषण रहित हवा , अनूठी संस्कृति , समृद्ध परंपराओं , ग्रामीण परिवेश , रीति रिवाजों व तीज -त्यौहारों के लिए जानी जाती है। समुद्रतल से लगभग 2,000 मीटर (6,562 feet) की ऊंचाई पर स्थित यह पहाड़ी प्रकृति प्रेमियों और धार्मिक लोगों के लिए एक आदर्श जगह है। यहाँ से हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियाँ विशेष रूप से नंदा देवी और पंचाचूली पर्वतमालाओं का मनमोहक दृश्य दिखाई देता है जो एकांत चाहने वालों , फोटोग्राफरों और प्रकृति प्रेमियों को आकर्षित करता है।
यही है सोरघाटी का प्रसिद्ध मोस्टामानु मंदिर
चंडाक सोर घाटी का सबसे ऊंचा देवदार के जंगलों से घिरा सुंदर पर्यटन स्थल है। चंडाक न सिर्फ प्राकृतिक रूप से खूबसूरत है बल्कि सांस्कृतिक व धार्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। इस क्षेत्र में कई मंदिर हैं जो क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक व धार्मिक विरासत को दर्शाते हैं। “बारिश के देवता” मोस्टा देव का प्रसिद्द मोस्टामानु मंदिर यही स्थित है। भगवान मोस्टा देव के दर्शन करने लोग दूर -दूर से यहाँ आते हैं। हर साल मोस्टामानू मंदिर परिसर में एक धार्मिक मेले का आयोजन किया जाता है। यहाँ पर्यटक ट्रैकिंग , बर्ड वॉचिंग और फोटोग्राफी का आनंद ले सकते हैं। शहरी जीवन के शोर – शराबे व हलचल से दूर चंडाक का सुरम्य व शांतिपूर्ण वातावरण लोगों को खूब पसंद आता है।
13 District 13 Destination में चंडाक भी शामिल
राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उत्तराखंड सरकार की महत्वाकांक्षी योजना “13 District 13 Destination / तेरह जिलों में तेरह डेस्टिनेशन” के तहत चंडाक मोस्टामानू को भी शामिल किया गया है। इसीलिए इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। यहाँ से पूरी शोर घाटी व हिमालय के विराट दर्शन होते हैं। इस स्थान पर अब ट्यूलिप गार्डन बनाया जा रहा है। चंडाक हिल हरे-भरे देवदार व चीड़ के जंगलों , रोडोडेंड्रोन फूलों , विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों और वन्य जीवों से सुशोभित है जो इसे ट्रैकिंग और लंबी पैदल यात्रा के लिए एक बेहतरीन स्थान बनाता है। वर्षों पहले लेप्रसी मिशन के तहत कुष्ठ रोगियों के उपचार हेतु शुद्ध हवा प्रदान करने के लिए मैरी रीड नाम की एक महिला द्वारा यहां पर सैकड़ों देवदार के पेड़ लगाए गए थे। यही देवदार के पेड़ अब घने जंगल में बदल चुके है जो चंडाक को एक खूबसूरत पर्यटन स्थल तो बनाते ही हैं साथ ही साथ ये आज पिथौरागढ़ शहर के लिए वरदान साबित हो रहे है। देवदार के इन्हीं पेड़ों की वजह से पिथौरागढ़ शहर व उसके आस -पास का तापमान नियंत्रण में रहता है।
क्या करें ?
चंडाक पिथौरागढ़ शहर व आस -पास के गांवों से सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा है। इसीलिए पर्यटकों को यहाँ पहुंचने में कोई दिक्क्त नही होती है। यहाँ आप पैदल चलकर आस -पास के क्षेत्रों को देख सकते है। यहाँ के प्रसिद्ध मोस्टामानु मंदिर का परिसर भी एकदम सड़क मार्ग से लगा हुआ है। इसीलिए आप मंदिर तक किसी भी वाहन से आसानी से पहुँच सकते हैं। मंदिर परिसर का वातावरण एकदम शांत व सुरम्य है। इसीलिए आप यहाँ आराम से पूजा , ध्यान व विश्राम कर सकते है। मंदिर में सुकून से बैठिये। मंदिर के चारों ओर के सुंदर प्राकृतिक वातावरण निहारिये। मंदिर परिसर में एक झूला लगा है जिसमें झूला झूलिये। प्रकृति व फोटोग्राफी का आनंद उठाइये।
ध्यान में रखने योग्य बातें
आप यहाँ मार्च से लेकर जून तक और सितंबर से लेकर दिसंबर तक कभी भी आ सकते हैं। अगर आप पिथौरागढ़ में कुछ दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए। कुछ गर्म कपड़े , फोटोग्राफी के लिए एक अच्छा सा कैमरा व पैदल चलने के लिए एक अच्छी क्वालिटी का जूता अपने साथ अवश्य रखें।
अवधि
चंडाक में आप अपने हिसाब से समय बिता सकते हैं।