Jauljibi Pithoragarh Uttarakhand
धार्मिक , व्यापारिक व सांस्कृतिक “जौलजीबी मेला” है मुख्य आकर्षण का केंद्र ।


Jauljibi Pithoragarh Uttarakhand : उत्तराखंड के पिथौरागढ़ शहर से करीब 64 किलोमीटर दूर स्थित है जौलजीबी। एक छोटा सा बाजार और एक बेहद खूबसूरत सा शांत कस्बा। काली और गोरी नदियों के संगम पर बसा यह कस्बा भारत और नेपाल की सीमाओं को जोड़ता है। जौलजीबी में आप शहरी भीड़भाड़ से एकदम दूर शांत वातावरण में प्रकृति व कुमाऊँनी – नेपाली संस्कृति को करीब से देख सकते हैं। नेपाल व जौलजीबी दोनों एक झूला पुल से जुड़े हुए है। झूला पुल के दोनों ओर छोटे -छोटे बाज़ार है जहाँ वहाँ के स्थानीय लोगों की जरूरत का सामान मिलता है। जौलजीबी अपनी प्राकृतिक सुंदरता , जीवंत संस्कृति और वार्षिक जौलजीबी मेले के लिए जाना जाता है। यहाँ नवंबर महीने में एक वार्षिक धार्मिक , व्यापारिक व सांस्कृतिक “जौलजीबी मेला” आयोजित किया जाता है जो पर्यटकों के मुख्य आकर्षण का केंद्र है। यह क्षेत्र अपने हरे-भरे जंगलों , कल-कल कर बहते झरनों , नदियों व समृद्ध कुमाऊँनी – नेपाली सांझी संस्कृति के लिए जाना जाता है।
जौलजीबी मेला भारत-नेपाल की साझी संस्कृति का प्रतीक है।
जौलजीबी में लगने वाला मेला भारत और नेपाल के बीच बहने वाली काली नदी की सीमा रेखा पर लगता है। इस मेले का आयोजन एक साथ दोनों देशों (भारत और नेपाल) में किया जाता है। यह मेला धार्मिक व व्यापारिक मेला होने के साथ -साथ कुमाऊँनी , भोटिया , शौका व नेपाली सभ्यता व संस्कृति को जानने व समझने का अवसर भी प्रदान करता है। यह मेला भारत व नेपाल की साझी संस्कृति का प्रतीक है और भारत व नेपाल के रिश्तों को मज़बूत करता है। मेले में स्थानीय कलाकारों द्वारा पारंपरिक नृत्य और गीत – संगीत प्रस्तुत किये जाते हैं। यह मेला अपने स्थानीय हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पादों के लिए भी प्रसिद्ध है जो स्थानीय कारीगरों द्वारा बेचे जाते हैं। इस मेले में हज़ारों लोग दूर -दूर से व्यापार करने आते हैं। इस मेले में ऊनी शॉल , पंखी , कालीन , दन , चरु , चुटके , जड़ीबूटियों , स्थानीय दालें , निंगाल के बने डोके , काष्ठ उपकरण , बर्तन आदि सामान खूब बिकते हैं।
Similar Places
Chaukori Pithoragarh Uttarakhand : सूर्योदय के समय यहाँ से दिखता है स्वर्ण हिमालय।
Gangolihat Pithoragarh Uttarakhand : प्राचीन मंदिरों और प्राकृतिक गुफाओं के लिए प्रसिद्ध है गंगोलीहाट
Didihat Pithoragarh Uttarakhand : मन को असीम शांति व सुकून देने वाला एक प्यारा सा हिल स्टेशन
Narayan Ashram Pithoragarh Uttarakhand : मन को असीम शांति व सुकून का अनुभव कराता एक उच्चकोटि का आध्यात्मिक केंद्र
Askot Pithoragarh Uttarakhand : समृद्ध कुमाऊँनी सांस्कृतिक विरासत को समेटे एक खूबसूरत कस्बा
Askot Musk Deer Sanctuary Pithoragarh Uttarakhand : कस्तूरी मृगों के संरक्षण के उद्देश्य से बना है अस्कोट कस्तूरी मृग अभयारण्य
Thal Kedar Temple Pithoragarh Uttarakhand : स्थाकिल पर्वत चोटी पर हजारों सालों से साक्षात विराजमान हैं भगवान भोलेनाथ।
Dhwaj Temple Pithoragarh Uttarakhand : जहाँ भगवान शिव माँ जयंती के साथ साक्षात विराजमान हैं।
Jhulaghat Pithoragarh Uttarakhand : भारत और नेपाल के संबंधों को मजबूती से बांधे रखता है यह झूला पुल।
Gurana Mata Temple Pithoragarh Uttarakhand : इस मंदिर में रुके बिना आगे नही बढ़ता कोई भी वाहन।
Dharchula Pithoragarh Uttarakhand : जहाँ एक पुल भारत और नेपाल को अलग करता है।
अस्कोट के पाल राजा ने की थी जौलजीबी मेले की शुरुआत
सन 1914 के आस – पास जौलजीबी क्षेत्र अति दुर्गम होने के कारण यहाँ कोई बड़ा स्थानीय बाजार नही था। उस वक्त स्थानीय लोगों को अपनी जरूरत का सामान खरीदने के लिए पैदल ही अल्मोड़ा या टनकपुर या अन्य जगहों पर जाना पड़ता था। इसीलिए अस्कोट के पाल राजा गजेंद्र बहादुर पाल ने सन 1914 में जौलजीबी मेले की शुरुआत की ताकि स्थानीय लोग मेले से साल भर के लिए अपनी जरूरत का सभी सामान एक साथ खरीद सकें। मेले में मित्र राष्ट्र नेपाल और पड़ोसी देश तिब्बत के अलावा अनेक भारतीय शहरों के व्यापारियों को भी आमंत्रित किया गया था। तभी से यह अंतरराष्ट्रीय मेला हर साल आयोजित किया जाता है। मेले में आप ऊनी कपड़ों की खरीददारी के साथ -साथ स्थानीय व्यंजनों का स्वाद भी ले सकते हैं।
जौलजीबी ब्रिज भी है देखने लायक।
जौलजीबी में यूं तो अनेक देखने लायक जगह है लेकिन भारत -नेपाल को जोड़ने वाला काली नदी पर बना झूला पुल मुख्य आकर्षण का केंद्र है। धारचूला व झूलाघाट के पुलों की तरह ही यह सस्पेंशन ब्रिज भी बेमिसाल इंजीनियरिंग का नमूना है। ये तीनों ही पुल भारत व नेपाल को आपस में जोड़ते हैं। यह पुल न सिर्फ भारत और नेपाल को आपस में जोड़ता है बल्कि यहाँ की सभ्यता – संस्कृति को भी रोटी – बेटी के मजबूत संबंधों में बांधता है। यहाँ पर भारत और नेपाल के लोगों के बीच शादी – ब्याह संबंध आराम से बनते हैं। इस पुल से नदी और आसपास के पहाड़ों के मनमोहक दृश्य देखे जा सकते है। यहाँ अस्कोट रियासत के राजा पुष्कर पाल ने 150 साल पहले प्रसिद्ध ज्वालेश्वर महादेव के मंदिर की स्थापना की थी। इसके अलावा जौलजीबी में माँ अन्नपूर्णा देवी मंदिर और देवी काली को समर्पित एक प्रसिद्ध काली मंदिर भी है जो काली नदी के तट पर स्थित है।
यहाँ खूब फलती – फूलती है कुमाऊंनी – नेपाली मिश्रित संस्कृति
कुमाऊं क्षेत्र में स्थित जौलजीबी अपनी प्राकृतिक सुंदरता के साथ – साथ पारंपरिक कुमाऊंनी – नेपाली मिश्रित संस्कृति , रीति -रिवाज , तीज – त्यौहार , खान – पान , सुकून व शांति का एक अद्भुत संगम है। बुराँश , ओक , देवदार के घने जंगल , ऊंचे- नीचे पहाड़ों , घाटियां व नदियों से घिरा जौलजीबी सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। एडवेंचर , ट्रैकिंग के शौकीन लोगों के लिए जौलजीबी एक बेहतरीन जगह है। यह कस्बा कई प्रमुख ट्रैकिंग क्षेत्रों का एक अहम पड़ाव भी है। मुनस्यारी , धारचूला व अस्कोट यहाँ से कुछ ही दूरी पर स्थित है।
क्या करें ?
जौलजीबी का शांत वातावरण प्रकृति प्रेमियों और उत्तराखंड के ग्रामीण जन -जीवन को नजदीक से देखने की चाहत रखने वालों के लिए सुंदर जगह है। यहाँ आपको कैम्पिंग , ट्रैकिंग के अच्छे अवसर मिलेंगे। इसीलिए आस – पास के क्षेत्रों में ट्रैकिंग कीजिए। खूब फोटोग्राफी कीजिए। ज्वालेश्वर महादेव , माँ अन्नपूर्णा देवी मंदिर और काली मंदिर भी जा सकते है। जौलजीबी के झूला पुल में टहलने के आनंद लीजिए और नेपाल तक जाइये मगर साथ में अपना आधार कार्ड अवश्य रखें जो नेपाल जाते वक्त चेक होगा।
जौलजीबी आने का सही समय (Best Time To Visit In Jauljibi)
जौलजीबी अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांतिपूर्ण परिवेश के लिए जाना जाता है। यहाँ गर्मियों में भी बहुत अधिक गर्मी नही रहती है। इसीलिए मौसम सुहाना रहता है। आप गर्मियों में आइये। पहाड़ी इलाका होने के कारण जाड़ों में यहाँ थोड़ी ठंड रहती है।
ध्यान में रखने योग्य बातें
जौलजीबीएक शांत सुरम्य स्थान है । पहाड़ी में स्थित होने के कारण यहाँ ज्यादा गर्मी नही रहती है। इसीलिए कुछ गर्म कपड़े अपने साथ अवश्य रखें। जंगल में ट्रैकिंग के लिए एक अच्छी क्वालिटी का जूता पहनें और फोटोग्राफी के लिए एक अच्छा सा कैमरा अपने साथ अवश्य रखें। अगर आप जौलजीबी या पिथौरागढ़ में एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए।
कैसे पहुँचें जौलजीबी ( How To Reach Jauljibi)
कितने दिन के लिए आए (Suggested Duration)
जौलजीबी प्राकृतिक रूप से बहुत ही सुन्दर , शांत जगह है। यहाँ पहुंचकर मन में बहुत ही शांति व सुकून का अनुभव होता है। खुली ताजी हवा व शांत सुरम्य वातावरण वाली इस शानदार जगह पर आप अपने हिसाब से अपना समय बिता सकते हैं।
क्यों आए जौलजीबी
मौसम (Weather)
जौलजीबी में गर्मियों में मौसम बहुत सुहाना रहता है। इसीलिए आप यहां मार्च से लेकर जून तक और सितंबर से लेकर नवंबर तक कभी भी आ सकते हैं। मगर दिसंबर – जनवरी में ठण्ड रहती है। अगर आप जौलजीबी या पिथौरागढ़ में कुछ दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए। फोटोग्राफी के लिए एक अच्छा सा कैमरा अपने साथ अवश्य रखें। ट्रैकिंग के शौक़ीन अपने साथ एक अच्छी क्वालिटी का जूता या स्पोर्ट शू अवश्य रखें।