Dunagiri Temple Dwarahat Almora Uttarakhand
इस सिद्ध शक्तिपीठ में माँ दूनागिरी वैष्णवी रूप में विराजमान हैं।


Dunagiri Temple Dwarahat Almora Uttarakhand : उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट शहर से लगभग 14 किलोमीटर दूर मल्ला सुराना में स्थित है प्राचीन सिद्ध शक्तिपीठ माँ दूनागिरी मंदिर या द्रोणगिरी मंदिर। यह काफी पुराना धार्मिक स्थल है जो मां दुर्गा को समर्पित है। माँ दूनागिरी का यह मंदिर वैष्णो देवी (जम्मू – कश्मीर) मंदिर के बाद दूसरा वैष्णो शक्तिपीठ है जो उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में स्थित है। यहाँ पर माता दुर्गा वैष्णवी रूप में विराजमान हैं। इसीलिए यहाँ माता को पूर्ण सात्विक भोग लगाया जाता है। दूनागिरी मंदिर में माँ की कोई मूर्ति नहीं है। यहाँ पर प्राकृतिक रूप से निर्मित सिद्ध पिंडों की पूजा मां भगवती के रूप में की जाती है। मंदिर का अंदरूनी हिस्सा बहुत पुराना है। मंदिर की छत काले ग्रेनाइट पत्थरों (स्लेट) से बनी है। मंदिर में जलने वाली अखंड ज्योति इस मंदिर की खास विशेषता है। समुद्र तल से लगभग 8, 000 फिट की ऊंचाई में स्थित दूनागिरी मंदिर द्रोणगिरी पर्वत की चोटी पर स्थित है। इसीलिए मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 365 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है। सीढ़ियां पूरी तरह से टिन शेड से ढकी हुई हैं ताकि भक्तजन धूप व बारिश से बच सकें। पूरे रास्ते में एक ही आकार की हजारों घंटियां लगी हुई है।
पवित्र द्रोणाचल पर्वत का एक अंश है द्रोणगिरी पर्वत
मान्यता है कि भगवान राम और रावण के युद्ध के दौरान जब मेघनाथ ने लक्ष्मण को अपने शक्ति बाण से मूर्छित कर दिया था। तब सुषेण वैद्य ने बताया कि लक्ष्मण के प्राण द्रोणाचल पर्वत में मिलने वाली संजीवनी बूटी से ही बच सकते हैं। हनुमानजी द्रोणाचल पर्वत पर पहुंच तो गए लेकिन वो संजीवनी बूटी को पहचान नहीं पाए। इसलिए वो पूरा द्रोणाचल पर्वत ही उठा लाये। जब हनुमानजी द्रोणाचल पर्वत उठा कर ला रहे थे तो उस समय उस पर्वत का एक टुकड़ा टूट कर इस जगह पर गिर गया। इसीलिए इस जगह को द्रोणागिरी या दूनागिरी कहते हैं जहाँ दूनागिरी मंदिर बना है। इस पर्वत को औषधि पर्वत या ब्रह्म पर्वत भी कहा जाता है। एक मान्यता यह भी है कि गुरु द्रोणाचार्य ने इस स्थान पर माँ भगवती की कठोर तपस्या की थी। स्थानीय लोग इस मंदिर को मंगलीखान के नाम से जानते है। ऐसा माना जाता है कि पांडवों ने भी अपने वनवास के दौरान माँ दूनागिरी मंदिर में कुछ समय बिताया था। यह स्थान सांस्कृतिक , धार्मिक व आध्यत्मिक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण है। इसका उल्लेख उपनिषद व पुराणों में भी मिलता है।
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यहाँ नवरात्रियों में लगता है भक्तों का मेला।
यह मंदिर उत्तराखंड के सबसे प्राचीन शक्ति सिद्ध पीठों में से एक है। कहा जाता है कि अगर कोई निसंतान महिला अखंड दीप जलाकर यहां पर संतान प्राप्ति हेतु पूजा अर्चना करती है तो मां उनकी मनोकामना अवश्य पूर्ण करती हैं। वैसे तो यहाँ हर रोज भक्त आते रहते हैं मगर चैत्र व शारदीय नवरात्रियों में काफी संख्या में श्रद्धालु माँ के दर्शन करने पहुँचते है। खासकर शारदीय नवरात्रि की सप्तमी के दिन (कालरात्रि) जागरण किया जाता है और अष्टमी के दिन महागौरी के पूजन के बाद एक भव्य मेले का आयोजन होता है। यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। मंदिर चारों तरफ से जंगलों से घिरा होने के कारण यहाँ ठंडी हवा चलती रहती है। यहां से शानदार हिमालय का नजारा भी देखा जा सकता है। “आदि शक्ति मां दूनागिरी ट्रस्ट” इस मंदिर के कामकाज को देखता है । यहां प्रतिदिन भंडारे का आयोजन भी किया जाता है।
क्या करें ?
दूनागिरी मंदिर में शक्ति स्वरूपा माता के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लीजिए । मंदिर से भव्य प्राकृतिक सौंदर्य को देखिये। फोटोग्राफी और जंगल ट्रेकिंग कीजिए। यहाँ से 4 से 5 किलोमीटर दूर स्थित पाण्डुखोली पर्वत शिखर पर जा सकते हैं। जंगल से बहने वाली ठंडी ताजी हवा का मजा लीजिए। इसके अलावा भी अल्मोड़ा शहर के आस -पास कई धूमने लायक सुंदर जगहें है जैसे बिनसर वन्य जीव अभयारण्य , डोल आश्रम , कटारमल सूर्य मंदिर , कसारदेवी मंदिर , सिमटोला इको पार्क , जागेश्वर धाम , नंदा देवी मंदिर , चितई गोलू देवता मंदिर आदि जहाँ आप जा सकते हैं।
दूनागिरी मंदिर आने का सही समय (Best Time To Visit In Dunagiri Temple)
दूनागिरी मंदिर आने का सही समय फरवरी से लेकर जून तक और अक्टूबर से लेकर दिसंबर तक है । गर्मियों में यहाँ का मौसम बेहद सुहाना रहता है। वैसे आप माँ के दरबार में कभी भी आ सकते हैं। अगर आप अल्मोड़ा / रानीखेत में एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए।
ध्यान रखने योग्य बातें।
मंदिर में मंदिर प्रशाशन द्वारा बनाये गये नियमों का पालन कीजिए। दूनागिरी मंदिर तक पहुँचने के लिए आपको पैदल ही चलना पड़ेगा। इसीलिए पैदल चलने व ट्रैकिंग के शौक़ीन लोग अपने साथ एक अच्छी क्वालिटी का जूता या स्पोर्ट शू अवश्य रखें।
कैसे पहुँचें दूनागिरी मंदिर ( How To Reach Dunagiri Temple)
कितने दिन के लिए आए (Suggested Duration)
दूनागिरी मंदिर सांस्कृतिक , धार्मिक व आध्यत्मिक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण है। इसके अलावा भी शहर के आस -पास कई धूमने लायक सुंदर जगहें है । जैसे डोल आश्रम , कटारमल सूर्य मंदिर , कसारदेवी मंदिर , सिमटोला इको पार्क , जागेश्वर धाम , नंदा देवी मंदिर , चितई गोलू देवता मंदिर आदि जहाँ आप जा सकते हैं। इसीलिए यहाँ आप अपने हिसाब से अपना समय बिता सकते हैं। अगर आप अल्मोड़ा / रानीखेत में एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए।
क्यों आयें दूनागिरी मंदिर ?
मौसम (Weather)
चारों तरफ हरे -भरे जंगल होने के कारण दूनागिरी मंदिर का मौसम गर्मियों में भी सुहाना रहता है। आप यहां मार्च से लेकर जून तक और सितंबर से लेकर दिसंबर तक कभी भी आ सकते हैं। अगर आप अल्मोड़ा / रानीखेत में एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए। फोटोग्राफी के लिए एक अच्छा सा कैमरा अपने साथ अवश्य रखें । ट्रैकिंग के शौक़ीन अपने साथ एक अच्छी क्वालिटी का जूता या स्पोर्ट शू अवश्य रखें।