Gurana Mata Temple Pithoragarh Uttarakhand
गुरना माता मंदिर : इस मंदिर में रुके बिना आगे नही बढ़ता कोई भी वाहन।

Gurana Mata Temple Pithoragarh Uttarakhand : उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के पिथौरागढ़ शहर से सिर्फ 13 किलोमीटर दूर हल्द्वानी या टनकपुर राष्ट्रीय राजमार्ग में स्थित है गुरना माता मन्दिर। इस मंदिर का वास्तविक नाम “पाषाण देवी मंदिर” है परन्तु गुरना गांव के समीप होने के कारण इसे गुरना देवी मंदिर के नाम से भी जाना जाना जाता है। सन 1952 से पूर्व इस मंदिर का एक छोटा सा रूप सड़क के नीचे था जहां ज्यादातर गुरना व उसके आस – पास के ग्रामीण रोजाना पूजा किया करते थे। सन 1950 में पिथौरागढ़ से हल्द्वानी या टनकपुर के लिए सड़क यातायात सेवा शुरू हुई। यातायात सेवा शुरू होने के बाद इस क्षेत्र में काफी सड़क दुर्घटनाएं होने लगी। कहा जाता है कि एक दिन इस मंदिर के पुजारीजी को सपने में आभास हुआ कि यदि गुरना माता के इस मंदिर को सड़क के नीचे से विधिवत हटाकर सड़क के पास स्थापित कर दिया जाय तो देवी मां जरूर अपने भक्तों पर कृपा करेंगी और वहाँ से गुजरने वाले यात्रियों की रक्षा कर उनकी यात्रा सफल बनाएँगी। पुजारीजी ने अन्य लोगों के साथ मिलकर अपने सपने के अनुसार माता के मंदिर को पूरे विधि – विधान के साथ सड़क के किनारे स्थापित किया। तब से इस क्षेत्र में कोई सड़क दुर्घटना नही हुई।
बिना मंदिर में रुके कोई भी वाहन यहाँ से नही गुजरता है।
मंदिर मुख्य राष्ट्रीय राजमार्ग में होने के कारण हर रोज हजारों यात्री इस मंदिर के गुजरते हैं। यहाँ से गुजरने वाला प्रत्येक ड्राइवर यहां पर रुककर मां के आशीर्वाद के रूप में धूप-अगरबत्ती अपने वाहन के आगे लगाकर आगे बढ़ता है। वाहन में बैठे सभी यात्री मंदिर से टीका लगाकर और प्रसाद ग्रहण कर ही अपनी यात्रा की शुरुआत करते हैं। सभी यात्री गुरना माता से अपनी सफल व मंगलमयी यात्रा की कामना करते हैं। लोग मां के दर्शन कर धन्य हो जाते हैं। श्रद्धालुओं द्वारा आने-जाने वक्त मंदिर की घंटिया बजाई जाती हैं जिसे सफल यात्रा होने का शुभ संकेत माना जाता है।
भक्तों की मनोकामना अवश्य पूर्ण होती हैं।
वैसे तो मां गुरना मंदिर के पास से हर रोज गुजरने वाले अनगिनत वाहन मंदिर के पास अवश्य रुक कर माँ का आशीर्वाद प्राप्त करते है। लेकिन कुछ लोग विशेष रूप से माँ के दरवार में आकर उनसे मन्नत मांगते हैं। माँ इतनी दयालु हैं कि वो सबकी मनोकामना पूर्ण करती है। मनोकामना पूर्ण होने पर भक्तगण मंदिर में भंडारा , पूजा-पाठ व अन्य आयोजन करते हैं। मां गुरना को माँ वैष्णो देवी का ही रूप माना जाता हैं। इसीलिये कुछ लोग इसे वैष्णो देवी मंदिर के रूप में भी जानते है। स्थानीय लोगों के अनुसार यहां अक्सर रात में बाघ दिखाई देता है और जिसे भी वो बाघ दिखाई देता है उस पर माता की कृपा हमेशा बनी रहती है। मंदिर के पास ही एक ठन्डे पानी का स्रोता भी है जो बारहों मास बहता रहता है। यहां से गुजरने वाले यात्री इस स्रोते के ठंडे पानी से हाथ – मुँह धोकर अपनी लम्बी यात्रा की थकान मिटाते हैं और इस ठन्डे पानी को भर कर अपने साथ भी ले जाते है।
क्या करें
रोडवेज की बस और सभी प्राइवेट वाहन तो यहाँ रुकते ही है। लेकिन अगर आप अपने वाहन से यात्रा कर रहे हैं तो वाहन को वहाँ अवश्य रोकिये। मंदिर से अगरवत्ती लेकर अपने वाहन में लगाइये। माता के दर्शन कीजिए। टीका लगाइये और प्रसाद ग्रहण कीजिए। अपनी मंगलमयी यात्रा की प्रार्थना कीजिए। प्रकृति व फोटोग्राफी का आनंद उठाइये।
ध्यान में रखने योग्य बातें
मंदिर में मंदिर के नियमों का पालन कीजिए। आप यहाँ मार्च से लेकर जून तक और सितंबर से लेकर दिसंबर तक कभी भी आ सकते हैं। अगर आप पिथौरागढ़ में एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए। कुछ गर्म कपड़े , फोटोग्राफी के लिए एक अच्छा सा कैमरा व पैदल चलने के लिए एक अच्छी क्वालिटी का जूता अपने साथ अवश्य रखें।
अवधि
मंदिर व उसके आस -पास आप अपने हिसाब से समय बिता सकते हैं।