Dharchula Pithoragarh Uttarakhand
धारचूला : जहाँ एक पुल भारत और नेपाल को अलग करता है।


Dharchula Pithoragarh Uttarakhand : उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले का एक आकर्षक मगर शांत सुरम्य शहर , शोर मचा कर पास बहती काली नदी का क्रिस्टल-सा साफ पानी , भारत और नेपाल को अलग करता इसी काली नदी के ऊपर बना एक पुल , विस्मय कर देनी वाली स्थानीय हस्तशिल्पकला , अनमोल जैविक उत्पाद , आसपास का हिमालयी परिदृश्य , समृद्ध सांस्कृतिक विरासत , अनोखी मिश्रित संस्कृति , रीति -रिवाज व गीत -संगीत , लाजबाब स्वादिष्ट खान -पान , यही तो है धारचूला की पहचान। जिला मुख्यालय से लगभग 90 किलोमीटर दूर और समुद्रतल से लगभग 915 मीटर की ऊँचाई में बसा धारचूला शहर अपने शानदार प्राकृतिक वैभव और जीवंत परंपराओं से पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। यह शहर हरे-भरे जंगलों , नदियों , घाटियों और शानदार हिमालय पर्वतों से घिरा हुआ है जो इसकी प्राकृतिक सुंदरता को कई गुना बड़ा देते है। विशेष रूप से सूर्योदय और सूर्यास्त के दौरान बर्फ से ढकी चोटियों का मनोरम दृश्य देखने वालों को मंत्रमुग्ध कर देता है और पास बहने वाली काली नदी शांति व सुकून का एहसास कराती है। सबसे खास बात यह है कि ओम पर्वत और आदि कैलाश यात्रा का रास्ता भी यही से होकर गुजरता है।
भारत और नेपाल सीमा में स्थित है धारचूला।
धारचूला भारत के उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित एक खूबसूरत शहर है। कुमाऊं क्षेत्र में स्थित यह शहर भारत और नेपाल की सीमा में स्थित है। शहर में काली नदी के ऊपर बना एक पुल भारत और नेपाल को अलग करता है यानि पुल के इस तरफ भारत और पुल के उस तरफ नेपाल। यह जगह भारत और नेपाल के व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यहाँ पर दोनों देशों के लोगों की परंपराएं , संस्कृति और जीवनशैली लगभग एक जैसी है और उन्हें पासपोर्ट या वीज़ा की सख्त जांच के बिना ही सीमा पार आने – जाने की अनुमति है। लेकिन बड़े सामानों के लिए कस्टम चेकपॉइंट बना है। यह शहर मुख्य रूप से भोटिया और अन्य स्थानीय समुदायों का घर है । तिब्बती , नेपाली और कुमाऊंनी लोगों के एक साथ रहने कारण यहाँ की संस्कृति समृद्ध और मिश्रित है। भाषा , खान -पान , रहन – सहन , तीज -त्यौहार , स्थानीय रीति-रिवाज , गीत -संगीत और पारंपरिक पोशाक क्षेत्र की जीवंत सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं। धारचूला व नेपाल के लोगों के बीच “रोटी – बेटी” का संबंध है यानि दो अलग -अलग देश होने के बाबजूद यहाँ लोगों के बीच विवाह आदि संबंध बहुत आसानी से होते है। यहाँ पर धारचूला के पश्चिम में स्थित बर्फ से ढकी पंचचूली चोटियाँ इसे जोहार घाटी से अलग करती है।
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कई ट्रैकिंग मार्गों के लिए आधार है धारचूला
धारचूला कई ट्रैकिंग मार्गों के लिए आधार के रूप में कार्य करता है जिनमें ओम पर्वत , आदि कैलाश , नंदा देवी और अन्य ऊंचाई वाले स्थानों की ओर जाने वाले मार्ग भी शामिल हैं। स्थानीय गाँव व ग्रामीण संस्कृति , रहन -सहन , खान -पान , रीति रिवाज , हरे -भरे जंगल , दुर्लभ वनस्पतियां और जीव-जंतु ट्रेकर्स की ट्रैकिंग को एक यादगार अनुभव में बदल देते हैं। यह शहर नेपाल के साथ सीमा पार व्यापार का प्रमुख केंद्र है। यहाँ के स्थानीय हस्तशिल्प और जैविक उत्पाद पर्यटकों के बीच खासे लोकप्रिय हैं। यह क्षेत्र अनेक तरह के दुर्लभ पक्षियों और वन्यजीवों का घर है। इसके अलावा पर्यटक इससे कुछ ही दूरी पर स्थित राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य में वन्यजीवों को देखने और प्रकृति की सैर करने भी आसानी से जा सकते हैं। जौलजीबी भी देखने लायक एक छोटा सा कस्बा है। काली नदी धारचूला का मुख्य आकर्षण है। आप यहाँ रिवर राफ्टिंग और ट्रैकिंग कर सकते है।
देखने लायक है धारचूला की हस्तशिल्प कला
धारचूला व उसके आस -पास के क्षेत्रों के लोग बहुत ही उम्दा कारीगर होते है ख़ास कर ऊनी सामान के। यहाँ के स्थानीय कारीगर ऊनी कपड़े (सामान) , लकड़ी की नक्काशी और पारंपरिक आभूषणों सहित अनेक सुंदर हस्तशिल्प बनाते हैं लेकिन दन , कालीन , सुन्दर शाल व टोपी बनाने में ये विशेष माहिर होते हैं। ये कागज में बने किसी भी डिजाइन को बिलकुल वैसा ही कालीन या शाल में उतार देते है। इनकी हस्तशिल्प कला क्षेत्र की समृद्ध कलात्मक विरासत को दर्शाती है। यहाँ आने वाले अधिकतर पर्यटक इन समानों को यहाँ से यादगार के रूप में अपने साथ ले जाते है। आलू गुटके , भट्ट की दाल , स्पेशल चाउमीन सूप के साथ और थुकपा जैसे स्थानीय व्यंजन आपको अवश्य चखने चाहिए।
धारचूला आने का सही समय (Best Time To Visit Dharchula)
पहाड़ी क्षेत्र के साथ -साथ घाटी क्षेत्र होने के कारण धारचूला में थोड़ी बहुत गर्मी रहती है। आप मार्च से जून तक फिर सितंबर से दिसंबर तक यहाँ आ सकते हैं । वैसे यहाँ वर्ष के किसी भी महीने में आया जा सकता है।
ध्यान में रखने योग्य बातें
धारचूला देखने योग्य जगह है। आप यहाँ बिना किसी वीजा या पासपोर्ट के नेपाल व भारत दोनों जगह आराम से घूम सकते है। अगर आप यहाँ एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए। फोटोग्राफी के लिए एक अच्छा सा कैमरा अपने साथ अवश्य रखें।
कैसे पहुँचें धारचूला ( How To Reach Dharchula)
कितने दिन के लिए आए (Suggested Duration)
धारचूला अपने आप में बहुत ही सुन्दर शहर है और उसके आस -पास भी कई सुंदर धूमने लायक जगहें है जहाँ आप जा सकते हैं। इसीलिए यहाँ आप अपने हिसाब से अपना समय बिता सकते हैं।
क्यों आए धारचूला
मौसम (Weather)
घाटी में होने के कारण गर्मियों में धारचूला में थोड़ी गर्मी तो रहती है लेकिन मौसम फिर भी सुहाना रहता है। आप यहां मार्च से लेकर जून तक और सितंबर से लेकर दिसंबर तक कभी भी आ सकते हैं। अगर आप यहाँ एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए। फोटोग्राफी के लिए एक अच्छा सा कैमरा अपने साथ अवश्य रखें। ट्रैकिंग के शौक़ीन अपने साथ एक अच्छी क्वालिटी का जूता या स्पोर्ट शू अवश्य रखें।