Dol Ashram Almora Uttarakhand
डोल आश्रम : विश्व का सबसे बड़ा व सबसे भारी श्रीयंत्र स्थापित है उत्तराखंड के इस पांचवे धाम में ।


Dol Ashram Almora Uttarakhand : शहर की भीड़ – भाड़ व दौड़-भाग भरी जिंदगी से बहुत दूर , ऊंचे – नीचे पहाड़ों के मध्य तथा हरे – भरे घने जंगलों के बीच उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के लमगड़ा ब्लॉक में स्थित है ड़ोल आश्रम । प्रदूषण मुक्त ठंडी ताजी खुली हवा , विशाल हरे – भरे पेड़ , पक्षियों का मधुर कलरव तथा प्राकृतिक सौंदर्य ऐसा कि किसी का भी मन मोह ले। वाकई में प्रकृति के मध्य स्थित इस डोल आश्रम में आने वाले मेहमानों को एक अजीब सी शांति व सुकून का अनुभव होता है। यहां आकर लोग अपने आप को एकदम तरोताजा तथा अपने अंदर एक नई सकारात्मक ऊर्जा को महसूस करते है। हमारी प्राचीन वैदिक परंपरा , रीति रिवाज , सभ्यता व संस्कृति को जानने प्रयास करते है। योग व आध्यात्म से जुड़ने का प्रयास करते है। इसीलिए वो यहां आकर कुछ समय के लिए अपनी सारी परेशानियों व तनाव को भूल जाते हैं।
विश्व का सबसे बड़ा व सबसे भारी श्रीयंत्र है डोल आश्रम में
डोल आश्रम की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां पर 126 फुट ऊंचा तथा 150 मीटर व्यास का श्रीपीठम है जिसका निर्माण सन 2012 से अप्रैल 2018 के बीच किया गया। इस श्रीपीठम के अंदर अष्ट धातु से निर्मित लगभग डेढ़ टन (150कुंतल) वजन और साढ़े तीन फुट ऊंचे श्रीयंत्र की स्थापना की गई हैं। इस यंत्र की स्थापना के अनुष्ठान 18 अप्रैल 2018 से शुरू होकर 29 अप्रैल 2018 तक चले। इस यंत्र की स्थापना बड़े धूमधाम से की गई। यह विश्व का सबसे बड़ा व सबसे भारी श्रीयंत्र है और यही आश्रम में मुख्य आकर्षण का केंद्र है। सनातन धर्म में श्रीयंत्र को धन की देवी माँ लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। वैदिक एवं आध्यात्मिक आस्था को एक साथ जोड़ने के लिए इस श्रीयंत्र की स्थापना की गई है। श्रीपीठम में लगभग 500 लोग एक साथ बैठ कर ध्यान लगा सकते हैं।
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श्री कल्याणिका हिमालयन देवस्थानम न्यास कनरा – डोल
उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के लमगड़ा ब्लॉक में स्थित यह डोल आश्रम हमारी समृद्ध प्राचीन भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति की जीती जागती मिसाल है। श्री कल्याणिका हिमालयन देवस्थानम न्यास कनरा – डोल (डोल आश्रम) के नाम से जानी जाने वाली यह जगह अपने आप में अद्भुत और अनोखी है। यहां के मुख्य महंत बाबा कल्याण दासजी महाराज हैं जिनके अनुसार यह सिर्फ एक मठ नहीं है। बल्कि इसको आध्यात्मिक व साधना केंद्र के रुप में विकसित किया जा रहा है ताकि देश – विदेश से आने वाले श्रद्धालु यहां बैठकर ध्यान व साधना कर सके।
उत्तराखंड का पांचवा धाम ( Dol Ashram)
उत्तराखंड की देवभूमि अपने चारधाम के लिए तो जानी ही जाती है । अब इस डोल आश्रम को उत्तराखंड का पांचवाँ धाम माना जाने लगा है । डोल आश्रम में अनेक तरह की सुविधायाँ उपलब्ध हैं । यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं के लिए रहने व खाने की सुविधा है। यहां पर एक मेडिटेशन हाल भी है। साथ ही साथ यह चिकित्सा सेवा भी उपलब्ध करा रहा है जिसके तहत एक डिस्पेंसरी खोली गई है। प्रसव पीड़ित महिलाओं का विशेष ध्यान रखा जाता है। प्रसव पीड़ित महिलाओं को तत्काल सेवा देने के लिए एक एंबुलेंस की सुविधा भी की गई है। भविष्य में यहां पूर्ण सुविधायुक्त आधुनिक अस्पताल खोलने की योजना भी है।
जनकल्याणकारी कार्यो में विशेष ध्यान
इस आश्रम में जनकल्याणकारी कार्यो में विशेष ध्यान दिया जा रहा है । आश्रम में विद्यार्थियों को संस्कृत भाषा का ज्ञान दिया जाता है तथा उनको हमारी प्राचीन भारतीय सभ्यता व संस्कृति से रूबरू कराया जाता है। आश्रम में 12वीं कक्षा तक संचालित संस्कृत विद्यालय को पब्लिक स्कूल के रूप में विकसित किया जा रहा है । कई बच्चों को इस स्कूल में निशुल्क शिक्षा भी प्रदान की जा रही है । यहां पर बच्चों को देवभाषा व हमारी संस्कृति की पहचान संस्कृत भाषा को सिखाने पर विशेष ध्यान दिया जाता है लेकिन संस्कृत भाषा के साथ – साथ बच्चों को कंप्यूटर व अंग्रेजी भाषा का भी अध्ययन कराया जाता है ताकि विद्यार्थी किसी भी क्षेत्र में पीछे न रह जाएं । यहां पर विद्यार्थियों को बेहद अनुशासित व संस्कारी ढंग से जीवन जीना सिखाया जाता है। आश्रम में शिक्षा से संबंधित कार्यों को विशेष बढ़ावा देकर इसे “शिक्षा हब” बनाने का प्रयास किया जा रहा है। डोल आश्रम जहां एक ओर हमारे ऋषि-मुनियों की संस्कृति व ज्ञान को संजोए रखने का काम कर रहा है वही दूसरी ओर आज की आधुनिक टेक्नोलॉजी व ज्ञान को भी अपना रहा है। यह आश्रम प्राचीन भारतीय संस्कृति व आधुनिक भारतीय संस्कृति के बीच में बेहतरीन तालमेल बिठाकर दिन – प्रतिदिन उन्नति की ओर अग्रसर हो रहा है।
डोल आश्रम आने का सही समय (Best Time To Visit Dol Ashram)
पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण डोल आश्रम में गर्मी का बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ता है। आप मार्च से जून तक फिर सितंबर से दिसंबर तक यहाँ आ सकते हैं । वैसे यहाँ वर्ष के किसी भी महीने में आया जा सकता है।
ध्यान में रखने योग्य बातें
डोल आश्रम में आश्रम प्रशाशन द्वारा बनाये गये नियमों का पालन करें। जूते -चप्पल निर्धारित स्थान पर रखें। वर्षा होने पर यहाँ हल्की ठंड रहती हैं। इसीलिए गर्म कपड़े साथ में लाना न भूलें। अगर आप यहाँ एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले अल्मोड़ा , भवाली , भीमताल या भुजियाघाट में कोई Hotel Book कर लीजिए। फोटोग्राफी के लिए एक अच्छा सा कैमरा अपने साथ अवश्य रखें।
कैसे पहुँचें डोल आश्रम ( How To Reach Dol Ashram)
कितने दिन के लिए आए (Suggested Duration)
डोल आश्रम में आप प्राचीन भारतीय सभ्यता व संस्कृति को जानने के साथ – साथ ध्यान , योगा , मेटिटेशन करते हुए अपने हिसाब से अपना समय बिता सकते हैं।
क्यों आए डोल आश्रम
मौसम (Weather)
डोल आश्रम या अल्मोड़ा का तापमान गर्मियों में बहुत ज्यादा नहीं रहता हैं। मई और जून में भी इन जगहों का तापमान बहुत अधिक नही रहता हैं यानि यहाँ मौसम सुहाना रहता हैं। आप यहां मार्च से लेकर जून तक और सितंबर से लेकर दिसंबर तक कभी भी आ सकते हैं। यहाँ हल्की वर्षा होने पर और दिसंबर -जनवरी में ठंड रहती हैं। इसीलिए अगर आप इस वक्त यहां आ रहे हैं तो गर्म कपड़े साथ में लाना न भूलें। अगर आप यहाँ एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए। फोटोग्राफी के लिए एक अच्छा सा कैमरा अपने साथ अवश्य रखें। ट्रैकिंग के शौक़ीन अपने साथ एक अच्छी क्वालिटी का जूता या स्पोर्ट शू अवश्य रखें।