Gangolihat Pithoragarh Uttarakhand
प्राचीन मंदिरों और प्राकृतिक गुफाओं के लिए प्रसिद्ध है गंगोलीहाट


Gangolihat Pithoragarh Uttarakhand : उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय से लगभग 77 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है एक हिमालयी पहाड़ी शहर गंगोलीहाट जो सिद्धपीठ हाट कलिका मंदिर व पताल भुवनेश्वर गुफा के लिये प्रसिद्ध है। गंगोलीहाट मुख्य रूप से प्राचीन मंदिरों और प्राकृतिक गुफाओं के लिए जाना जाता है जिनमें पूर्व में “हाट कालिका” , उत्तर में “अंबिका देवाल” , पश्चिम में “चामुंडा मंदिर और वैष्णवी मंदिर” स्थित हैं। शैल पर्वत पर स्थित “वैष्णवी मंदिर” से हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं को साफ़ देखा जा सकता है। यहाँ कई प्राकृतिक गुफायें जैसे पाताल भुवनेश्वर , शैलेश्वर , मुक्तेश्वर , सप्तेश्वर और हाल ही में मिली भोलेश्वर गुफा मौजूद है। माना जाता है कि पाताल भुवनेश्वर गुफा में 33 कोटि देवी-देवताओं का निवास है। यहाँ से पंचचूली व नंदा देवी पर्वत श्रृंखलायें साफ़ दिखाई देती हैं।
प्राचीन मंदिर और गुफाओं के लिए प्रसिद्ध हैं गंगोलीहाट
सरयू और रामगंगा नदियों के बीच स्थित होने के कारण गंगोलीहाट क्षेत्र को पहले गंगावली कहा जाता था जो समय के साथ बिगड़कर “गंगोली” हो गया। चूंकि एक समय में गंगोली ही स्थानीय लोगों का मुख्य हाट (बाजार) हुआ करता था। इसीलिए धीरे -धीरे लोग इसे गंगोलीहाट कहने लगे। ऐसा माना जाता है कि सिद्धपीठ हाट कलिका मंदिर में आदिगुरू शंकराचार्य ने आदि शक्ति को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। इस सिद्ध पीठ की स्थापना भी आदिगुरू शंकराचार्य द्वारा की गयी। हाट कलिका देवी रणभूमि में गए जवानों की रक्षक मानी जाती है। परमवीर चक्र विजेता कैप्टन बिक्रम बत्रा देवी माँ के बहुत बड़े भक्त थे। देवी महाकाली कुमाऊं रेजिमेंट की नामित देवी हैं । कुमाऊं रेजिमेंट ने सेना के उन जवानों के लिए मंदिर के पास एक आर्मी रेस्ट हाउस बनाया है जो देवी माँ का आशीर्वाद लेने के लिए गंगोलीहाट आते हैं। कुमाऊं रेजिमेंट द्वारा यहाँ कई धर्मशालाएँ और द्वार बनाए गए हैं।
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क्या करें ?
गंगोलीहाट की हरी-भरी वादियाँ , बुराँश , ओक – देवदार के घने जंगल , पहाड़ी नदियाँ और शांति व सुकून भरा वातावरण आपको एक अलग ही अनुभव प्रदान करता है। यह स्थान प्रकृति प्रेमियों , फोटोग्राफरों और ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए एक आदर्श स्थल है। यहाँ ट्रैकिंग , फोटोग्राफी आदि का आनंद आराम से लिया जा सकता है। गंगोलीहाट से चौकोरी , बेरीनाग और बिनसर जैसे पर्यटन स्थल काफी नजदीक हैं। आप वहाँ भी जा सकते हैं।
गंगोलीहाट आने का सही समय (Best Time To Visit In Gangolihat)
ओक , बुरांश और देवदार के ऊँचें -ऊँचें और घने जंगलों के बीच बसा पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण गंगोलीहाट का मौसम हमेशा सुहाना रहता है। आप मार्च से जून तक फिर सितंबर से दिसंबर तक यहाँ आ सकते हैं । वैसे यहाँ वर्ष के किसी भी महीने में आया जा सकता है। गंगोलीहाट सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा है।
ध्यान में रखने योग्य बातें
गंगोलीहाट देखने लायक खूबसूरत जगह है। खासकर मार्च – अप्रैल के महीने में लोहाघाट के आस -पास का पूरा जंगल बुराँश के सुर्ख लाल फूलों से भर जाता है जो देखने लायक होता है। अगर आप यहाँ एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए । फोटोग्राफी के लिए एक अच्छा सा कैमरा अपने साथ अवश्य रखें।
कैसे पहुँचें गंगोलीहाट ( How To Reach Gangolihat)
कितने दिन के लिए आए (Suggested Duration)
गंगोलीहाट अपने आप में बहुत ही सुन्दर कस्बा है और उसके आस -पास भी कई सुंदर धूमने लायक जगहें है जहाँ आप जा सकते हैं। इसीलिए यहाँ आप अपने हिसाब से अपना समय बिता सकते हैं।
क्यों आए गंगोलीहाट
मौसम (Weather)
पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण गंगोलीहाट का मौसम हमेशा ही सुहाना रहता है। आप यहां मार्च से लेकर जून तक और सितंबर से लेकर दिसंबर तक कभी भी आ सकते हैं। अगर आप यहाँ एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए । फोटोग्राफी के लिए एक अच्छा सा कैमरा अपने साथ अवश्य रखें। ट्रैकिंग के शौक़ीन अपने साथ एक अच्छी क्वालिटी का जूता या स्पोर्ट शू अवश्य रखें।