Askot Pithoragarh Uttarakhand
अस्कोट : समृद्ध कुमाऊँनी सांस्कृतिक विरासत को समेटे एक खूबसूरत कस्बा


Askot Pithoragarh Uttarakhand : उत्तराखंड के पिथौरागढ़ शहर से करीब 52 किलोमीटर दूर स्थित अस्कोट कस्बा अपनी प्राकृतिक खूबसूरती व अस्कोट कस्तूरी मृग अभयारण्य के लिए प्रसिद्ध है। डीडीहाट तहसील में आने वाला यह सुंदर सा कस्बा कनालीछीना विकासखंड का हिस्सा है। टनकपुर-तवाघाट राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित अस्कोट पिथौरागढ़ और धारचूला के बीच और पंचचुली और छिपलकोट के पहाड़ों की गोद में बसा है। विशाल हिमालय श्रृंखला की तलहटी में स्थित यह कस्बा पारम्परिक कैलाश-मानसरोवर यात्रा मार्ग (दिल्ली-अल्मोड़ा-डीडीहाट-लिपुलेख) का एक मुख्य पड़ाव है और मिलम ग्लेशियर , रालम ग्लेशियर और कुमाऊं हिमालय के अन्य दूरदराज के क्षेत्रों में ट्रैकिंग अभियानों के लिए यही प्रारंभिक बिंदु है। कभी यह क्षेत्र पाल , चंद व रजवार राजाओं के अधीन था। कुमाऊं क्षेत्र में स्थित अस्कोट अपनी प्राकृतिक सुंदरता के साथ -साथ पारंपरिक कुमाऊंनी संस्कृति , रीति -रिवाज , खान – पान , सुकून व शांति का एक अद्भुत संगम है। यह अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के साथ -साथ अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए भी जाना जाता है।
समृद्ध कुमाऊंनी सांस्कृतिक विरासत को समेटे एक कस्बा
अस्कोट विशाल हिमालय श्रृंखला की तलहटी में स्थित है जो देवदार , ओक और रोडोडेंड्रोन (बुराँश) के हरे-भरे जंगलों से घिरा हुआ है। यह क्षेत्र कुमाऊं हिमालय का हिस्सा है जहां से उत्तराखंड की सबसे ऊंची और सबसे प्रतिष्ठित बर्फ से ढकी नंदा देवी और पंचाचूली जैसी चोटियों साफ़ दिखाई देती हैं। टेड़े -मेढे रास्ते , सीढ़ीनुमा खेत , तेज़ बहती नदियों , घास के जंगल , शांत सुरम्य वातावरण , सीधे -साधे पहाड़ी लोग , मीठी कुमाऊंनी बोली , यही पहचान है अस्कोट की। अस्कोट भी उत्तराखंड के अन्य गांवों की तरह ही एक समृद्ध कुमाऊँनी सांस्कृतिक विरासत को समेटे हुए है। यह गांव पारंपरिक कुमाऊंनी वास्तुकला का घर है जिसमें पत्थर के घर और स्लेट की छतें हैं जो पर्यावरण के साथ सामंजस्य बनती हैं। इस क्षेत्र में अनेक कुमाँऊनी त्योहार भी मनाए जाते हैं जहां आप कुमाऊंनी लोगों की जीवंत संस्कृति , संगीत और नृत्य को देख सकते हैं।
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अस्कोट में कस्तूरी मृग अभयारण्य मुख्य आकर्षण का केंद्र
अस्कोट में पर्यटकों के मुख्य आकर्षण का केंद्र कस्तूरी मृग अभयारण्य है। समुद्र तल से करीब 5412 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस अभयारण्य की स्थापना वर्ष 1986 में कस्तूरी मृगों (मोस्कस ल्यूकोगैस्टर) व उसके आवास के संरक्षण के उद्देश्य से की गई है। इसके अलावा अभयारण्य बनाने का मूल उद्देश्य क्षेत्र की दुर्लभ वनस्पतियों और वन्यजीवों की वृहद जैव विविधता का संरक्षण करना भी था। 600 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैले इस अभयारण्य में लगभग 67 कस्तूरी मृग हैं। यह मृग अभयारण्य वन्यजीव , पक्षी और प्रकृति प्रेमियों के बीच काफी लोकप्रिय है।
दुर्लभ वन्य जीवों व अनमोल वनस्पतियों का सुरक्षित घर है अस्कोट अभयारण्य।
अस्कोट कस्तूरी मृग अभयारण्य कस्तूरी हिरणों के अलावा हिम तेंदुए , हिमालयन थार , ब्लू भेड़ , सेरोव , चाइर , काकड़ , घोरड़ , हिमालयी काले भालू , फेशियंस , चूकर्स , तहर , भरल और कोक्लासों के लिए भी सुरक्षित घर है। इसके अलावा फीजेंट , मोनाल , पहाड़ी तीतर व मुर्गा , हिमालयन स्नो कॉक , ट्रेगोपान आदि पक्षी भी यहाँ आराम से देखे जा सकते हैं। यह अभयारण्य पाइन , बुराँश , ओक , देवदार , सागौन के घने जंगलों व बर्फीले पहाड़ों के बीच स्थित है। इस अभयारण्य से पंचचुली , नौकना पहाड़ और हिमालय की सुंदरता देखते ही बनती है। यह अभयारण्य धौली और इकली नदियों का उद्गम स्थान है। अस्कोट कस्तूरी मृग अभयारण्य से सटे एक किलोमीटर के दायरे को भी इको सेंसिटिव जोन घोषित किया गया।
क्या करें ?
अस्कोट का शांतिपूर्ण वातावरण शहर के जीवन की हलचल से दूर एकांतवास चाहने वालों के लिए आदर्श स्थान है। प्रदूषण रहित ठंडी ताजी हवा और शांत सुरम्य वातावरण का मजा लीजिए। जंगल ट्रेकिंग कीजिए। पक्षियों को देखिये व उनका मधुर कलरव सुनिए। अस्कोट कस्तूरी मृग अभयारण्य जाइए। वहाँ दुर्लभ औषधीय पौधों , जड़ी बूटियों व वन्य जीवों को देखिये। कुमाऊंनी व्यंजन जैसे आलू के गुटके , भांग की चटनी , रायता और मडुवे की रोटी का मजा लीजिए। चाहे आप प्रकृति प्रेमी हों या ट्रैकिंग प्रेमी हों या बस एक शांतिपूर्ण छुट्टी की तलाश में , अस्कोट में आपको यह सब मिलेगा।
अस्कोट आने का सही समय (Best Time To Visit In Askot)
अस्कोट अपनी प्राकृतिक सुंदरता , समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और शांतिपूर्ण परिवेश के लिए जाना जाता है। यहाँ गर्मियों में भी बहुत अधिक गर्मी नही रहती है। आप मार्च से जून तक फिर सितंबर से दिसंबर तक यहाँ आ सकते हैं । वैसे बरसात के अलावा यहाँ वर्ष के किसी भी महीने में आया जा सकता है।
ध्यान में रखने योग्य बातें
अस्कोट एक शांत सुरम्य कस्बा है और आस -पास घने जंगल है। अस्कोट में ही कस्तूरी मृग अभयारण्य भी है। जंगल में ट्रैकिंग के लिए एक अच्छी क्वालिटी का जूता पहनें और फोटोग्राफी के लिए एक अच्छा सा कैमरा अपने साथ अवश्य रखें। अगर आप पिथौरागढ़ में एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए।
कैसे पहुँचें अस्कोट ( How To Reach Askot)
कितने दिन के लिए आए (Suggested Duration)
अस्कोट बहुत ही सुन्दर , शांत कस्बा है। यहाँ पहुंचकर मन में बहुत ही शांति व सुकून का अनुभव होता है। खुली ताजी हवा व शांत सुरम्य वातावरण वाली इस शानदार जगह पर आप अपने हिसाब से अपना समय बिता सकते हैं।
क्यों आए अस्कोट
मौसम (Weather)
अस्कोट में गर्मियों में मौसम बहुत सुहाना रहता है। आप यहां मार्च से लेकर जून तक और सितंबर से लेकर दिसंबर तक कभी भी आ सकते हैं। अगर आप पिथौरागढ़ में कुछ दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए। फोटोग्राफी के लिए एक अच्छा सा कैमरा अपने साथ अवश्य रखें। ट्रैकिंग के शौक़ीन अपने साथ एक अच्छी क्वालिटी का जूता या स्पोर्ट शू अवश्य रखें।