अल्मोड़ा में धूमने की 10 शानदार जगहें जो आपको अवश्य देखनी चाहिए।
Tourist Places To Visit In Almora Uttarakhand


Tourist Places To Visit In Almora Uttarakhand , एक शहर जो प्राकृतिक रूप से ख़ूबसूरत हो और उसकी ख़ूबसूरती में चार चाँद लगाने के लिए बर्फ की चादर ओढे सामने हिमालय राज खड़े हों , साथ ही साथ जो शहर अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को समेटे हो। जो कर्मभूमि रही हो नृत्य सम्राट पंडित उदय शंकर की और जिस शहर की जेल से जुडी हो देश के प्रथम प्रधानमंत्री श्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की यादें , जो आत्मज्ञान प्राप्त करने की आध्यत्मिक भूमि रही हो स्वामी विवेकानंद की और जो अनमोल यादें समेटे हो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की। जहां की बाल मिठाई और सिंगौडी सिर्फ देश ही नही बल्कि विदेशों में भी मशहूर हो। क्या आप ऐसे शहर में अपने जीवन के चंद लम्हे गुजारना चाहते हैं तो चले आइए कुदरती खूबसूरत शहर अल्मोड़ा में।
समृद्ध व गौरवशाली इतिहास रहा है अल्मोड़ा का
समुद्र तल से लगभग 1642 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अल्मोड़ा शहर पहुंचने के लिए सर्पीली व काफी घुमावदार सड़कों का सफर प्राकृतिक सौंदर्य निहारते हुए तय करना पड़ता हैं। यह सांस्कृतिक नगरी जितनी प्राकृतिक रूप से सुंदर है उतना ही समृद्ध व गौरवशाली इसका इतिहास भी है।अल्मोड़ा शहर की स्थापना राजा कल्याण चंद ने 1568 में की थी। यह शहर सैकड़ों वर्ष तक चंद राजाओं , कत्यूरी राजाओं , गोरखाओं तथा अंग्रेजों के शाशन का गवाह रहा हैं। इस तांब्र नगरी के पग – पग में कुमांऊ व पहाड़ी संस्कृति की झलक देखने को मिलती हैं। यहाँ आने वाले पर्यटक पहाड़ी ब्यंजनोंं , पहाडों की ठंडी ताजी हवा के साथ – साथ हरे-भरे जंगलों का भरपूर मजा लेते हैं। अल्मोड़ा में देखने लायक अनेक सुंदर स्थल हैं जहाँ पर्यटक अपना समय आराम से बिता सकते हैं। अगर आप अल्मोड़ा धूमने का Plan बना रहे हैं तो इन 10 जगहों में अवश्य जाइये।
Top 10 Best Places To Visit In Almora Uttarakhand
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मल्ला महल तब्दील हो गया कलेक्ट्रेट हाउस में
अल्मोड़ा शहर का इतिहास मुख्य रूप से कत्यूरी राजाओं व चंद राजाओं से जुड़ा है। हांलाकि कत्यूरी शासकों ने यहां 1560 तक शासन किया मगर 1563 के बाद जब चंद राजाओं ने अपना शाशन शुरू किया तो इस शहर को विकसित किया। राजा बालोकन्याण ने इस शहर को अपनी राजधानी बनाया तथा चंद्र वंश के ह़ी एक राजा रूप चंद ने “मल्ला महल” की स्थापना की। वर्तमान में मल्ला महल को कलेक्ट्रेट हाउस में तब्दील कर दिया हैं जहाँ से कलेक्ट्रेट साहब शहर का काम काज देखते हैं। अल्मोड़ा शहर अपने आप में जिला मुख्यालय भी हैं।
अल्मोड़ा जेल और नेहरू जी की यादें
अल्मोड़ा की जेल आज भी अपनी ऐतिहासिक यादों को समेटे हुए हैं। इस जेल में स्वतंत्रता आंदोलन के समय अंग्रेजों ने देश के प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू के साथ हरगोविंद पंत और कामरेड पीसी जोशी जैसे महान देशभक्तों को रखा था। पंडित जवाहरलाल नेहरू को इस जेल में दो बार रखा गया। आज भी इस जेल में पंडित नेहरू तथा गोविंद बल्लभ पंत द्वारा उपयोग की गई बस्तुयें जैसे बर्तन , पीतल का लोटा , लकड़ी का चरखा , फर्नीचर , थाली , ग्लास , दीया , चरपाई को सहेजकर रखा गया हैं। स्वतंत्रता आंदोलन के वक्त लोगों को एकजुट करने तथा आजादी की अलख जगाने के लिये महात्मा गांधी भी 1929 में अल्मोड़ा आए थे। नेहरू की यादों से जुडी वस्तुओं को देखने के लिए जिलाअधिकारी से अनुमति लेनी पड़ती है।
देश भर में प्रसिद्द है अल्मोड़ा की स्वादिष्ट बाल मिठाई , चॉकलेट व सिंगौडी
अपने बेमिसाल स्वाद के कारण अल्मोड़ा की बाल मिठाई , सिंगौडी व चॉकलेट देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी खासी लोकप्रिय है। शायद ह़ी कोई ऐसा पर्यटक या स्थानीय व्यक्ति हो जो अल्मोड़ा से होकर गुजरे और बाल मिठाई , सिंगौडी व चॉकलेट ना खरीदे। लोग अपने परिजनों , रिश्तेदारों व परिचितों को उपहार में देने के लिए यहां से मिठाइयां जरुर खरीद कर ले जाते हैं। बाल मिठाई बनाने का काम यहाँ लगभग 100 साल से भी अधिक पुराना है। इसके स्वाद और निर्माण के परंपरागत तरीकों को इजाद करने का श्रेय मिठाई विक्रेता स्वर्गी नंदलाल साह को जाता है।बाल मिठाई बनाने के लिए आसपास के क्षेत्रों से दूध को इक्कठा किया जाता हैं फिर उससे खोया तैयार किया जाता है। इसे बनाने के लिए खोये और चीनी को एक निश्चित तापमान पर पकाया जाता है तथा ठंंडा होने पर इस पर पोस्ते के दाने चिपकाए जाते हैं और फिर उनको छोटे-छोटे टुकड़ों में काटा जाता है। ऐसे बनती हैं अल्मोड़ा की स्वादिष्ट बाल मिठाई । सिंगौडी में मालू के पत्ते को एक कोन का आकार दिया जाता है फिर उसमें भरी जाती हैं दूध के खोये से बनी स्वादिष्ट मिठाई। इस मिठाई का स्वाद सैलानियों को भा जाता है और वो इस स्वाद को जिंदगी भर नहीं भूल पाते हैं। अब तो ये मिठाईयों अल्मोड़ा की पहचान बन गये हैं। आजकल ये मिठाइएं Online भी उपलब्ध हैं।
कुशल कारीगर का हुनर झलकता है तांबे के बर्तनों में
अल्मोड़ा की एक और खूबसूरत पहचान है यहां का वर्षो पुराना तांबे का उद्योग। अल्मोड़ा के थाना बाजार स्थित टम्टा मोहल्ला में कुशल कारीगर अपने हाथों से तांबे को एक से एक सुंदर बर्तनों और भगवान की प्रतिमाओं में ढाल देते हैं। देखने वाले उनके हाथों की नक्काशी के कायल हो जाते हैं। जब भी कोई सैलानी अल्मोड़ा शहर घूमने आता है तो इस शहर की सौगात के रूप में यहां से ताबे के बरतन या मूर्तियां जरूर खरीद कर ले जाता है।
अल्मोड़ा की पहचान हैं ऐपण
अल्मोड़ा की एक और खास पहचान है यहां पर लोगों द्वारा बनाए जाने वाले ऐपण। पहाड़ों में जब भी कोई विशेष पर्व या त्यौहार होता हैं तो लोग अपने घरों को ऐपण से सजाते हैं जिनको देहरी और मंदिर में लगाया जाता है। इन्हें घर के दरवाजे व मंदिर में लगाना शुभ माना जाता हैं। इनसे घरों की खूबसूरती कई गुना बढ़ जाती हैं। कुमाऊं की इस कला को पर्यटक अपने साथ ले जाना नहीं भूलते हैं। इसके अलावा यहां पर ऊनी कपड़ों की कई प्रसिद्ध दुकानें बनी हुई हैं जिनका निर्माण यही किया जाता है।
पंडित उदय शंकर नृत्य अकादमी
अल्मोड़ा की धरती अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए भी जानी जाती हैं। 1838 में पंडित उदय शंकर पहली बार यहाँ आये। इस जगह के प्राकृतिक सौंदर्य ने उनका मन कुछ इस तरह से मोह लिया कि वो यही के होकर रह गये। उन्होंने कई वर्षों तक अल्मोड़ा में ही अपनी नृत्य की साधना की । इसीलिए पंडित उदय शंकर की स्मृति के रूप में अल्मोड़ा में एक नृत्य अकादमी भी स्थापित की गई है।
स्वामी विवेकानंद की आध्यात्मिक भूमि
अल्मोड़ा स्वामी विवेकानंद की आध्यात्मिक कर्म स्थली भी रही है। भारत को “आध्यात्मिक गुरु” के रूप में पूरे विश्व में प्रतिष्ठित करने वाले स्वामी विवेकानंद दो-तीन बार अल्मोड़ा आए थे। पहली बार 1890 में हिमालय दर्शन के दौरान यहां आए थे। तब उन्हें काकडीघाट के पास आत्मज्ञान की प्राप्ति हुई थी। दूसरी बार 1898 में स्वामी विवेकानंद यहां आए और थॉमसन हाउस में ठहरे। तब स्वामीजी ने देवलधार और स्याहीदेवी में ध्यान भी किया था।
अल्मोड़ा घूमने का सही समय (Best Time To Visit Almora)
अल्मोड़ा में धूमने का सही समय मार्च से लेकर जून तक और अक्टूबर से लेकर फरवरी तक हैं। अल्मोड़ा में आप अपना नया साल मनाइए । अक्टूबर में दिवाली , दशहरे के आसपास और गर्मियों की छुट्टियों के वक्त अल्मोड़ा का मौसम बहुत सुहाना रहता हैं । अल्मोड़ा में आप कभी भी आइए , वह हमेशा ही आपको कुछ न कुछ अलग जरूर दिखेगा।
अल्मोड़ा कितने दिन के लिए आए (Suggested Duration)
अल्मोड़ा में आप 3 दिन से लेकर एक सप्ताह तक आराम से बिता सकते हैं।
अल्मोड़ा क्यों आए (Why One Should Visit To Almora)
ध्यान रखने योग्य बातें
आप यहां मार्च से लेकर जून तक और सितंबर से लेकर दिसंबर तक कभी भी आ सकते हैं। अगर आप अल्मोड़ा में एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए। फोटोग्राफी के लिए एक अच्छा सा कैमरा व अच्छा क्वालिटी का जूता अपने साथ अवश्य रखें।