Kashi Vishwanath Temple Uttarkashi Uttarakhand
भारत का एकलौता ऐसा शिव मंदिर जहाँ शिवलिंग दक्षिण की तरफ झुका है।
Kashi Vishwanath Temple Uttarkashi Uttarakhand : उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के उत्तरकाशी शहर में भागीरथी नदी के पश्चिमी तट पर बसा है काशी विश्वनाथ मंदिर जिसमें बाबा विश्वनाथ (विश्व के नाथ या भगवान) स्वयं ज्योतिर्लिंग रूप में साक्षात विराजमान हैं । जिस तरह बाबा भोलेनाथ काशी में बाबा विश्वनाथ के रूप में विराजमान हैं। ठीक उसी तरह “उत्तर की काशी या कलयुग की काशी” में भी भोलेनाथ बाबा विश्वनाथ के रूप में विराजमान हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर में 56 सेटीमीटर ऊँचा स्वयंभू ज्योतिर्लिंग दक्षिण की तरफ झुका है। यह भारत का एकलौता ऐसा शिव मंदिर है जहाँ शिवलिंग दक्षिण की तरफ झुका हुआ है। गर्भगृह में बाबा विश्वनाथ के साथ – साथ माँ पार्वती व गणेशजी भी विराजमान हैं। गर्भगृह के बाहर नंदी महाराज प्रतीक्षारत हैं। यहाँ साक्षी गोपाल व महान तपस्वी ऋषि मार्कण्डेय भी अनंतकाल से ध्यानमग्न मुद्रा में बैठे हैं। भगवान परशुराम द्वारा निर्मित और वरुणावत पर्वत की तलहटी पर बसा यह प्राचीन शिव मंदिर कत्यूरी शैली में पाषाण यानि पत्थरों से बना हुआ है। बाबा विश्वनाथ मंदिर के ठीक सामने शक्ति मंदिर है जहाँ माँ पार्वती एक अद्भुत विशाल व भव्य त्रिशूल के रूप में विराजमान हैं। सुबह – शाम मंदिर में बजने वाली घंटियों की मधुर आवाज दूर – दूर तक सुनाई देती है जो मन को बड़ा सुकून देती है।
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शक्ति मंदिर में एक विशाल व भव्य त्रिशूल के रूप में विराजमान हैं माँ पार्वती।
उत्तरकाशी को “सौम्यकाशी” के नाम से भी जाना जाता है। बाबा विश्वनाथ मंदिर के ठीक सामने माँ पार्वती को समर्पित एक शक्ति मंदिर है जहाँ माँ शक्ति एक विशाल व भव्य त्रिशूल के रूप में विराजमान हैं। माना जाता है कि 6 मीटर (लगभग 19 फिट) ऊँचे इसी त्रिशूल से माँ दुर्गा ने असुरों का वध किया था। माँ शक्ति के प्रतीक के रूप में विराजमान यह त्रिशूल करीब 1500 वर्ष पुराना माना जाता है जिसमें तिब्बती शिलालेख अंकित है। आश्चर्य की बात यह है कि कोई भी व्यक्ति अपनी पूरी ताकत लगा कर भी इस त्रिशूल को हिला नही सकता है मगर हाथ की किसी भी अंगुली से थोड़ा सा दबाब डालने पर यह त्रिशूल हल्का कंपन करने लगता है। इसीलिए यह त्रिशूल लोगों की असीम आस्था व विश्वास का केंद्र है। गंगोत्री व यमुनोत्री धाम तीर्थयात्रा बिना बाबा के दर्शन के पूर्ण नही होती है। इसीलिए हर साल हजारों तीर्थयात्री यहाँ बाबा के दर्शन करने पहुँचते हैं। नवरात्रि , शिवरात्रि व सावन माह में यहाँ विशेष पूजा अर्चना होती है। खासकर सावन माह में यहाँ कांवड़ियों व श्रद्धालओं की भीड़ रहती है। मंदिर परिसर में कांवड़ियों के रुकने की खास व्यवस्था की जाती है।
महान तपस्वी ऋषि मार्कण्डेय ने यही किया था भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न।
बाबा विश्वनाथ मंदिर में स्वयंभू ज्योतिर्लिंग के दक्षिण की तरफ झुके होने के पीछे महान तपस्वी ऋषि मार्कण्डेय की अथाह शिव भक्ति व अटूट विश्वास माना जाता है। ऋषि मार्कण्डेय अल्पायु थे। जब उन्हें यह बात पता चली तो वो कालों के काल महाकाल अर्थात भोलेबाबा की भक्ति में लीन हो गये। तय समय पर जब यमराज उनके प्राण हरने आये तो वो शिवलिंग से जाकर लिपट गए और भगवान भोलेनाथ से प्रार्थना करने लगे। उन्होंने शिवलिंग को इतना कस कर पकड़ लिया कि शिवलिंग दक्षिण की तरफ झुक गया। उनकी प्रार्थना सुनकर भगवान भोलेनाथ वहाँ प्रकट हुए और यमराज से उनकी रक्षा की। इसके बाद यमराज को वहाँ से खाली हाथ लौटना पड़ा। बाबा ने उन्हें दीर्घायु व यशस्वी होने का आशीर्वाद दिया। माना जाता है कि तभी से ऋषि मार्कण्डेय यहाँ ध्यानमग्न मुद्रा में बैठे हैं। प्राचीन काल में उत्तरकाशी को बाड़ाहाट के नाम से भी जाना जाता था। यहाँ भारत व तिब्बत के व्यापारियों का बड़ा बाजार लगा करता था जिसमें वस्तु विनिमय विधि (सामान के बदले सामान) से लेनदेन होता था।
क्या करें ?
बाबा विश्वनाथ , माँ पार्वती , गणेशजी , हनुमानजी और ऋषि मार्कण्डेयजी के दर्शन कीजिए। उनकी पूजा अर्चना कीजिए। उनका आशीर्वाद लीजिए। उत्तरकाशी घूमिये। भागीरथी नदी व उत्तरकाशी के खूबसूरत प्राकृतिक सौंदर्य का मजा लीजिए। आस – पास के क्षेत्र जैसे सप्तऋषि कुंड ट्रैक में ट्रेकिंग का मजा लीजिए। खूब फोटोग्राफी कीजिए। इसके अलावा आप यमुनोत्री धाम, शनि मंदिर , गंगोत्री मंदिर , धराली , मुखवा , गंगनानी , सातताल (सत्तल) , बागोरी , हर्षिल , गरतांग गली , खरसाली , जानकीचट्टी , हनुमानचट्टी , सूर्यकुंड , दिव्यशिला आदि भी जा सकते हैं।
बाबा विश्वनाथ मंदिर आने का सही समय (Best Time To Visit Kashi Vishwanath Temple)
इस स्थान का महत्व इसी बात से समझा जा सकता है कि कलयुग के दूसरे कालखंड में जब काशी जलमग्न हो जायेगी तो बाबा विश्वनाथ यही विराजमान होंगे। काशी विश्वनाथ मंदिर में दूर -दूर से भक्त सालभर बाबा के दर्शन करने आते रहते हैं। खासकर नवरात्रि , शिवरात्रि व सावन माह में यहाँ विशेष पूजा अर्चना होती है। वैसे आप यहां मार्च से लेकर जून और फिर सितंबर – अक्टूबर तक कभी भी आ सकते हैं। अगर आप उत्तरकाशी में एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए।
ध्यान रखने योग्य बातें
बाबा विश्वनाथ मंदिर उत्तरकाशी शहर में ही स्थित है। मंदिर परिसर में मंदिर के नियमों का पालन करें और शांति बनायें रखें। कुछ देर बाबा के चरणों में बैठिये। मन में सुकून व शांति का अनुभव कीजिए। अगर आप उत्तरकाशी में एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए।
कैसे पहुँचें बाबा विश्वनाथ मंदिर ( How To Reach Kashi Vishwanath Temple)
कितने दिन के लिए आए (Suggested Duration)
बाबा विश्वनाथ मंदिर अपने आप में बहुत ही सुन्दर , पवित्र व आध्यात्मिक स्थान है। बाबा के चरणों में एक अजीब सी शांति व सुकून का अनुभव होता है। इसके अलावा उत्तरकाशी के आस -पास कई धूमने लायक सुंदर जगहें है जैसे यमुनोत्री धाम, शनि मंदिर , गंगोत्री मंदिर , धराली , मुखवा , गंगनानी , सातताल (सत्तल) , बागोरी , हर्षिल , गरतांग गली आदि जहाँ आप जा सकते हैं। इसीलिए यहाँ आप अपने हिसाब से अपना समय बिता सकते हैं। अगर आप उत्तरकाशी में एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए।
