Saptarishi Kund Trek Uttarkashi Uttarakhand
सबसे कठिन हिमालयी ट्रैकों में से एक है सप्तऋषि कुंड ट्रैक ।


Saptarishi Kund Trek Uttarkashi Uttarakhand : उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के उत्तरकाशी शहर से लगभग 124 किलोमीटर दूर स्थित है यमुनोत्री धाम और इसी यमुनोत्री धाम से लगभग 7 किलोमीटर दूर स्थित है सप्तऋषि कुंड जो आध्यात्मिक , धार्मिक व प्राकृतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है। सप्तऋषि कुंड झील के पानी का मुख्य स्रोत चंपासर ग्लेशियर है जो बन्दरपूँछ पर्वत के पास स्थित है। लगभग 4421 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह पवित्र झील यमुना नदी के पानी का मुख्य स्रोत है। यह झील हिमालयी क्षेत्रों में सबसे अधिक ऊँचाई में स्थित झीलों में से एक है। माना जाता है कि यह क्षेत्र सात महान ऋषियों जामदग्नि , वशिष्ठ , विश्वामित्र , गौतम , भारद्वाज , कश्यप और अत्रि की तपस्थली है। इस झील तक पहुँचने का रास्ता घने जंगलों , घास के मैदानों व ऊँची – नीची चोटियों से होकर जाता है जो सभी हिमालयी ट्रैकों में सबसे कठिन ट्रैक माना जाता है। हिमालयी क्षेत्र में स्थित होने के कारण यह ट्रैक अधिकतर बर्फ से ढका रहता है जो इसे और भी दुर्गम व रोमांचक बनाता है।
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सबसे कठिन ट्रैकों में से एक है सप्तऋषि कुण्ड ट्रैक ।
सप्तऋषि कुंड को हमारे पुराणों में मलिंग सरोबर भी कहा गया है क्योंकि यहाँ महान तपस्वी मलिंग ऋषि ने भी तपस्या की थी। यमुनोत्री धाम या यमुनोत्री मंदिर से लगभग 7 किलोमीटर दूर स्थित सप्तऋषि कुंड झील तक पहुँचने का रास्ता बेहद कठिन है क्योंकि यहाँ तक पहुँचने के लिए कोई एक निश्चित मार्ग या ट्रैक नही है। कही एकदम खड़ी चढ़ाई तो कही उबड़ -खाबड़ पथरीला चट्टानी रास्ता है। सप्तऋषि कुंड ट्रैक घने जंगलों , घास के मैदानों व ऊँची – नीची चोटियों से होकर गुजरता है जो सभी हिमालयी ट्रैकों में सबसे कठिन ट्रैक माना जाता है। हिमालयी क्षेत्र में स्थित होने के कारण यह ट्रैक अधिकतर बर्फ से ढका रहता है जो इसे और भी दुर्गम व रोमांचक बनाता है। लेकिन इस सबसे कठिन ट्रैक से गुजरते वक्त आपको बर्फ से ढकी बन्दरपूँछ व स्वर्गरोहिणी चोटियाँ , बॉंज , बुराँश , कैल , देवदार व भोज के घने जंगल , घास के मैदान , दुर्लभ वन्यजीव -जंतु व गुणकारी औषधियाँ और अनेक मनभावन दृश्य दिखाई देंगे। इस क्षेत्र में पवित्र बह्मकमल फूल भी पाया जाता है जो अपने आध्यात्मिक महत्व व औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है।
क्या करें ?
सप्तऋषि कुंड तक पहुँचने के लिए कोई एक निश्चित मार्ग या ट्रैक नही है। इसीलिए ट्रैकिंग करते वक्त किसी स्थानीय गाइड की सलाह या मदद अवश्य लें । अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखिये । खूब फोटोग्राफी कीजिए । इसके अलावा भी यमुनोत्री धाम व उत्तरकाशी शहर के आस -पास कई धूमने लायक सुंदर जगहें है जैसे विश्वनाथ मंदिर , यमुनोत्री धाम , शनि मंदिर , गंगोत्री मंदिर , धराली , मुखवा , गंगनानी , सातताल (सत्तल) , बागोरी , हर्षिल , गरतांग गली , केदरकांठा , नेलांग घाटी आदि जहाँ आप जा सकते हैं।
सप्तऋषि कुंड आने का सही समय (Best Time To Visit In Saptarishi Kund)
सप्तऋषि कुंड , हिमालयी पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है जो जाड़ों में पूरी तरह से बर्फ से ढक जाता है। इसीलिए सप्तऋषि कुंड की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून के बीच में है। अगर आप यमुनोत्री धाम में एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए।
ध्यान रखने योग्य बातें
आपको यमुनोत्री धाम से सप्तऋषि कुंड तक लगभग 7 किलोमीटर का कठिन ट्रैक पार करना पड़ेगा। इसीलिए पूरी तैयारी के साथ आइये। ट्रैकिंग से पहले इस पूरे मार्ग की जानकारी अवश्य लें । यमुनोत्री धाम से पैदल चलने हेतु अच्छी क्वालिटी का जूता अवश्य पहनें। स्वास्थ्य का ध्यान रखिये। किसी अनुभवी गाइड को अपने साथ अवश्य रखें। खाने -पीने का सामान , कुछ दवाइयाँ , कैंपिंग का सामान ट्रैकिंग जूता , पहचान पत्र , कुछ गर्म कपड़े अपने साथ अवश्य लेकर चलें। अगर आप यमुनोत्री धाम में एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book अवश्य कर लीजिए।
कैसे पहुँचें सप्तऋषि कुंड ( How To Reach Saptarishi Kund)
कितने दिन के लिए आए (Suggested Duration)
सप्तऋषि कुंड अपने आप में बहुत ही सुन्दर , सुरम्य , शांत व आध्यात्मिक हिमालयी क्षेत्र है जहाँ आप कुछ पल सुकून व शान्ति से बिता सकते हैं। इसके अलावा यहाँ आस -पास कई धूमने लायक सुंदर जगहें है जैसे विश्वनाथ मंदिर , यमुनोत्री धाम , शनि मंदिर , गंगोत्री मंदिर , धराली , मुखवा , गंगनानी , सातताल (सत्तल) , बागोरी , हर्षिल , गरतांग गली , केदरकांठा , नेलांग घाटी आदि जहाँ आप जा सकते हैं। इसीलिए यहाँ आप अपने हिसाब से अपना समय बिता सकते हैं। अगर आप यमुनोत्री मंदिर में एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए।