Mukhba Village In Harshil Valley Uttarkashi Uttarakhand
हर साल पूरे धार्मिक रीति रिवाजों के साथ अपने मायके आती हैं माँ गंगा ।


Mukhba Village In Harshil Valley Uttarkashi Uttarakhand : उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के 76 किलोमीटर दूर स्थित है एक खूबसूरत घाटी हर्षिल। इसी हर्षिल घाटी में बसा है धार्मिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण एक प्यारा सा गाँव मुखवा या मुखीमठ। मुखवा गाँव में ही स्थित है माँ गंगा का मुखवा मंदिर या गंगा मंदिर। समुंद्रतल से लगभग 8, 000 फिट की ऊंचाई में स्थित इस गाँव को माँ गंगा के मायके के रूप में जाना जाता है। जाड़ों में हिमालयी क्षेत्र में स्थित गंगोत्री धाम पूरी तरह बर्फ से ढक जाता है जिस कारण उसके कपाट 6 महीने के लिए बंद हो जाते हैं । इसीलिए दीपावली के पावन अवसर पर (भाई दूज के दिन) एक विशाल धार्मिक शोभायात्रा व गढ़वाल राइफल्स के आर्मी बैंड के साथ माँ गंगा की स्वर्ण प्रतिमा (भोगमूर्ति) को मुखवा मंदिर में पूरे धार्मिक रीति रिवाजों के साथ लाया जाता है। माँ गंगा पूरे शीतकाल के दौरान यही प्रवास करती है और फिर ग्रीष्मकाल में अक्षय तृतीया के ठीक एक दिन पहले फिर एक विशाल शोभायात्रा के साथ गंगोत्री धाम को एक बेटी की तरह विदा होती है।
पूरे धार्मिक रीति रिवाजों के साथ माँ गंगा अपने मायके आती है।
यह भूमि मतंग ऋषि की मानी जाती है। इसीलिए इस गाँव का नाम मुखवा पड़ा है। माना जाता है कि गंगा नदी के किनारे स्थित इस गाँव में मतंग ऋषि ने कठोर तपस्या की थी जिससे प्रसन्न होकर माँ गंगा ने उन्हें शीतकाल के दौरान मुखवा गाँव में प्रवास करने का वरदान दिया था। तबसे ही माँ गंगा पूरे शीतकाल के दौरान यही प्रवास करती है। उच्च हिमालयी क्षेत्र गंगोत्री धाम में भारी बर्फवारी होने की वजह से जब गंगोत्री धाम के कपाट बंद हो जाते हैं तब माँ गंगा की स्वर्ण प्रतिमा (भोगमूर्ति) को मुखवा मंदिर में लाया जाता है। माँ गंगा पूरे शीतकाल के दौरान (6 महीने) यही प्रवास करती है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस दौरान पूरा गाँव माँ गंगा की भक्ति में डूबा रहता है और देश – विदेश से भी श्रद्धालु माँ गंगा के दर्शन व उनकी पूजा – अर्चना करने इस गाँव में पहुँचते हैं। पूरे गाँव में हर्षोउल्लास का माहौल रहता है।
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शंकराचार्य ने की थी मुखीमठ की स्थापना।
माँ गंगा गंगोत्री धाम में 6 महीने रहती है मगर मुखवा गाँव में वो सालभर विराजमान रहती हैं क्योंकि मुखवा गाँव के मुखवा मंदिर में भी माँ गंगा की एक मूर्ति स्थापित है जिसकी पूजा पूरे साल भर बिना रुके दिन में दो बार होती है। माँ गंगा की भोगमूर्ति (गंगोत्री धाम से आने वाली स्वर्ण प्रतिमा) को 6 महीने तक इसी मूर्ति के बगल में रखा जाता है। कहते है कि भगवान शंकराचार्य ने चार मठों की स्थापना की थी उनमें से ही एक मठ मुखीमठ है जो मुखवा गाँव में है। मुखवा गाँव में अधिकतर घर लकड़ी के बने हैं। श्रीकंठ , हिंडियानी , सुमेरु पर्वत के शानदार दर्शन यहाँ से किये जा सकते हैं।
क्या करें ?
माँ गंगा के दर्शन व उनकी पूजा अर्चना कीजिए । मुखवा गाँव में धूमें। हर्षिल घाटी के खूबसूरत प्राकृतिक सौंदर्य का मजा लीजिए। आस – पास के क्षेत्रों में ट्रेकिंग का मजा लीजिए। जाड़ों में हर्षिल घाटी का तापमान शून्य से नीचे चला जाता है । इसीलिए गर्म कपड़े साथ रखना न भूलें। खूब फोटोग्राफी कीजिए। इसके अलावा आप धराली , गंगनानी , सातताल (सत्तल) , बागोरी आदि भी जा सकते हैं।
मुखवा गाँव आने का सही समय (Best Time To Visit In Mukhba Village)
चारों तरफ हरे -भरे घने जंगल , नदी , ऊँचे – ऊँचे पहाड़ होने के कारण मुखवा गाँव का मौसम गर्मियों में भी सुहाना रहता है। आप यहां मार्च से लेकर अक्टूबर तक कभी भी आ सकते हैं। अगर आप हर्षिल में एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए।।
ध्यान में रखने योग्य बातें
जाड़ों में हर्षिल घाटी का तापमान शून्य से नीचे चला जाता है । इसीलिए गर्म कपड़े साथ रखना न भूलें। मुखवा गाँव तक पहुँचने के लिए थोड़ा पैदल चलना पड़ता है। इसीलिए अच्छी क्वालिटी का जूता अवश्य पहनें। अगर आप हर्षिल में एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए ।
कैसे पहुँचें मुखवा गाँव ( How To Reach Mukhba Village)
कितने दिन के लिए आए (Suggested Duration)
मुखवा गाँव अपने आप में बहुत ही सुन्दर प्राकृतिक जगह है । इसके अलावा भी गाँव के आस -पास कई धूमने लायक सुंदर जगहें है जैसे धराली , गंगनानी , सातताल (सत्तल) , बागोरी आदि जहाँ आप जा सकते हैं। इसीलिए यहाँ आप अपने हिसाब से अपना समय बिता सकते हैं।