Kuteti Devi Temple Uttarkashi Uttarakhand
एक भक्त के निश्छल प्रेम व विश्वास के वशीभूत होकर माँ कुटेटी सदियों से यहाँ विराजमान हैं।
Kuteti Devi Temple Uttarkashi Uttarakhand : उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के उत्तरकाशी शहर से लगभग 2 किलोमीटर दूर भागीरथी नदी के किनारे पर स्थित हरि पर्वत पर बसा है आदि श्री कुटेटी देवी पौराणिक सिद्धपीठ मंदिर। अगर भक्त पूरी श्रद्धा व सच्चे मन से भगवान को पुकारता है तो भगवान भक्त के प्रेम के वशीभूत होकर वही प्रकट हो उसकी रक्षा व सकल मनोरथ अवश्य पूर्ण करते हैं। यह शक्ति सिद्धपीठ भी उसी निश्छल प्रेम व विश्वास का प्रतीक है जहाँ माँ जगदम्बा अपने एक भक्त की प्रार्थना पर राजस्थान से आकर इस पहाड़ी पर विराजमान हो गयी। वो सदियों से इस क्षेत्र के लोगों की रक्षा कर रही हैं। माना जाता है कि यहां सच्चे मन से प्रार्थना करने से संतान की प्राप्ति होती है। इसीलिए लोग यहां आकर संतान प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं। खासकर नवविवाहित जोड़े अपने सुखद भविष्य व संतानप्राप्ति के लिए माता का आशीर्वाद लेने पहुँचते हैं। एक ऊंचे पर्वत पर माँ का बसेरा और चारों तरफ हरियाली , ऊँचें – ऊँचें चीड़ के पेड़ , ठंडी हवा और सुंदर प्राकृतिक नजारे इस मंदिर को और भी आकर्षक बनाते हैं। यहाँ की आध्यात्मिक शांति व सुबह – शाम मंदिर में बजने वाली घंटियों की मधुर आवाज जो दूर – दूर तक सुनाई देती है , मन को बड़ा सुकून देती हैं। यह मंदिर आध्यात्मिक शांति और गढ़वाली सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। इस मंदिर की वास्तुकला इस क्षेत्र की विशिष्ट सांस्कृतिक धरोहर का प्रतिनिधित्व करती है। सिद्धपीठ होने के कारण नवरात्रि के दौरान यहां विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
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एक भक्त के प्रेम के वशीभूत होकर यहाँ विराजमान हैं माँ कुटेटी देवी।
सकल मनोरथ पूर्ण करने वाली माता अपने एक भक्त की प्रार्थना पर राजस्थान से आकर इस पहाड़ी पर विराजमान हैं। कहा जाता है कि कोटा के एक महाराज गंगोत्रीधाम यात्रा पर आये थे। इसी दौरान उनका रुपयों से भरा एक बैग कही गिर गया था। उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर में जाकर भगवान भोलेनाथ से प्रार्थना की कि अगर उनका बैग वापस मिल जाएगा तो वो अपनी पुत्री का विवाह यही के किसी स्थानीय युवक से करा देंगे। बैग वापस मिलने के बाद राजा ने अपनी पुत्री का विवाह एक स्थानीय युवक से कर दिया। पिता के कहने पर बेटी ने शादी तो कर ली लेकिन वह अपनी कुलदेवी माँ कुटेटी से दूर होने के कारण दुखी रहती थी। मां कुटेटी ने अपनी इस बेटी का दर्द समझा और उसे सपने में दर्शन देकर बताया कि वह उन्हें हरि पर्वत पर बने एक खेत में तीन पत्थरों के रूप में मिलेंगी। बाद में जिस स्थान पर वो तीन दिव्य पत्थर मिले वही ग्रामीणों ने मिलकर मां के मंदिर का निर्माण कर दिया। तब से माता यही विराजमान होकर सबकी रक्षा करती हैं।
क्या करें ?
माँ कुटेटी के दर्शन कीजिए। उनकी पूजा अर्चना कीजिए। उनका आशीर्वाद लीजिए। कुछ देर मंदिर प्रांगण में बैठिये। आस -पास के प्राकृतिक सौंदर्य को निहारिये। ठंडी ताजी हवा का मजा लीजिए। उत्तरकाशी घूमिये। भागीरथी नदी व उत्तरकाशी के खूबसूरत प्राकृतिक सौंदर्य का मजा लीजिए। आस – पास के क्षेत्र जैसे सप्तऋषि कुंड ट्रैक में ट्रेकिंग का मजा लीजिए। खूब फोटोग्राफी कीजिए। इसके अलावा आप यमुनोत्री धाम, शनि मंदिर , गंगोत्री मंदिर , धराली , मुखवा , गंगनानी , सातताल (सत्तल) , बागोरी , हर्षिल , गरतांग गली , खरसाली , जानकीचट्टी , हनुमानचट्टी , सूर्यकुंड , दिव्यशिला आदि भी जा सकते हैं।
श्री कुटेटी देवी मंदिर आने का सही समय (Best Time To Visit Kuteti Devi Temple)
मंदिर का शांत , सुरम्य और आध्यात्मिक वातावरण आने वाले भक्तों को असीम शांति प्रदान करता है। श्री कुटेटी देवी मंदिर में दूर -दूर से भक्त सालभर माँ के दर्शन करने आते रहते हैं। खासकर नवरात्रि में यहाँ विशेष पूजा अर्चना होती है। वैसे आप यहां मार्च से लेकर जून और फिर सितंबर – अक्टूबर तक कभी भी आ सकते हैं। अगर आप उत्तरकाशी में एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए।
ध्यान रखने योग्य बातें
श्री कुटेटी देवी मंदिर उत्तरकाशी शहर से लगभग 2 किलोमीटर दूर स्थित है जहाँ वाहन से जाया जा सकता है। मंदिर परिसर में मंदिर के नियमों का पालन करें और शांति बनायें रखें। कुछ देर माँ के चरणों में बैठिये। मन में सुकून व शांति का अनुभव कीजिए। अगर आप उत्तरकाशी में एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए।
कैसे पहुँचें श्री कुटेटी देवी मंदिर ( How To Reach Kuteti Devi Temple)
कितने दिन के लिए आए (Suggested Duration)
श्री कुटेटी देवी मंदिर अपने आप में बहुत ही सुन्दर , पवित्र व आध्यात्मिक स्थान है। शक्ति स्वरूपा माँ के चरणों में एक अजीब सी शांति व सुकून का अनुभव होता है। इसके अलावा उत्तरकाशी के आस -पास कई धूमने लायक सुंदर जगहें है जैसे यमुनोत्री धाम, शनि मंदिर , गंगोत्री मंदिर , धराली , मुखवा , गंगनानी , सातताल (सत्तल) , बागोरी , हर्षिल , गरतांग गली आदि जहाँ आप जा सकते हैं। इसीलिए यहाँ आप अपने हिसाब से अपना समय बिता सकते हैं। अगर आप उत्तरकाशी में एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए।
