Dayara Bugyal Trek Uttarkashi Uttarakhand
अगर आप ट्रैकिंग व कैम्पिंग के शौक़ीन हैं तो इस बार हरे – भरे घास के मैदानों में ट्रैकिंग का मजा लीजिए।
Dayara Bugyal Trek Uttarkashi Uttarakhand : उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के उत्तरकाशी शहर से लगभग 55 किलोमीटर दूर स्थित है दयारा बुग्याल। बुग्याल यानि हरा- भरा अल्पाइन घास का मैदान या प्रकृति का अपना गार्डन। दयारा बुग्याल की खासियत यह है कि यह बसंत ऋतु में बुरांश के सुर्ख लाल -गुलाबी फूलों के साथ -साथ रंग-बिरंगे जंगली फूलों से भर जाता है जबकि ग्रीष्मऋतु में यहाँ मखमली घास अपनी अलग ही छटा बिखेरती है और सर्दियों में यही मैदान सफेद बर्फ की चादर ओढ़ लेता है। दयारा बुग्याल ट्रैक ग्रीष्मकालीन व शीतकालीन , दोनों ही ट्रैकिंग रूट के लिए प्रसिद्ध है। लगभग 3,688 मीटर (12,100 फीट) की ऊंचाई पर स्थित इस ट्रैक को घने जंगल , कभी फूल तो कभी बर्फ से ढके ऊंचे -नीचे रास्ते , बर्फ से ढकी सुंदर हिमालय पर्वत श्रृंखलायें , गालों को छूकर गुजरती ठंडी बर्फीली हवा , हिमालयन पक्षियों का कोलाहल , वन्यजीवों की मधुर आवाज और पैरों तले मखमल जैसी कोमल घास और भी शानदार बनाती है। इस ट्रैक की शुरुआत खूबसूरत गढ़वाली गांव बार्सू या रैथल से की जा सकती है। समृद्ध जैव विविधता को समेटे लगभग 21 किलोमीटर के इस शानदार ट्रैक को पार करके जब ट्रैकर दयारा बुग्याल पर पहुंचते हैं तो वहां एकदम सामने ब्लैक पीक , गंगोत्री , बंदरपूंछ , श्रीकण्ठ , जौनाली और द्रौपदी का डांडा जैसी चोटियों का भव्य व शानदार नजारा दिखाई देता है। स्थानीय लोगों द्वारा यहां हर साल अगस्त माह में दूध – मक्खन महोत्सव बहुत शानदार तरीके से मनाया जाता है जो समृद्ध गढ़वाली संस्कृति का प्रतीक है।
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बहुत कठिन नही है दयारा बुग्याल ट्रैक ।
आमतौर पर दयारा बुग्याल ट्रैक को बहुत कठिन ट्रैक नही माना जाता है। यहाँ पर नये ट्रैकर्स भी आराम से ट्रैकिंग कर सकते हैं। दरअसल दयारा बुग्याल की ट्रैकिंग दो गाँवों से शुरू की जा सकती है। बार्सू और रैथल। बार्सू गांव से दयारा बुग्याल लगभग 10 किलोमीटर तथा रैथल से 11 किलोमीटर की दूरी पर है और ये दोनों ही गाँव भटबारी से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से बार्सू या रैथल गाँव तक लगभग 45 किलोमीटर का सफर किसी भी वाहन से तय किया जा सकता है। इसके आगे का लगभग 21 किलोमीटर (जाना -आना) का सफर ट्रैकिंग के द्वारा ही पूरा किया जाता है। यहां से आप बंदरपूंछ , श्रीकण्ठ , जौनाली और द्रौपदी का डांडा जैसी पर्वत श्रृंखलाओं के दर्शन आराम से कर सकते है। यहां मोबाइल नेटवर्क नहीं पकड़ता है। इसीलिए ट्रैकर्स यहाँ आधुनिक दुनिया से एकदम दूर प्रकृति के बहुत करीब होकर उसकी शांति , प्रेम व सहजता को महसूस करते हैं। खासकर कैंपिंग के शौकीनों लिए तो यह एक शानदार जगह है। बहुत एकांत , बहुत शांत और प्रकृति के बहुत करीब। रात को आसमान साफ़ होने पर आप दूरवीन के माध्यम से तारे भी देख सकते हैं।
क्या करें ?
बंदरपूंछ , श्रीकण्ठ , जौनाली और द्रौपदी का डांडा जैसी पर्वत श्रृंखलाओं के दर्शन कीजिए। कैंपिंग का मजा लीजिए। रास्ते में पड़ने वाले पारंपरिक गढ़वाली गाँवों के चरवाहों के छाने (छनियाँ) , ग्रामीण जीवन , लकड़ी के पारंपरिक घरों को देखिये। ग्रामीण गढ़वाली सभ्यता – संस्कृति व तीज -त्यौहारों को जानने का प्रयास कीजिए। उत्तरकाशी घूमिये। भागीरथी नदी व उत्तरकाशी के खूबसूरत प्राकृतिक सौंदर्य का मजा लीजिए। आस – पास के क्षेत्र जैसे सप्तऋषि कुंड ट्रैक में ट्रेकिंग का मजा लीजिए। खूब फोटोग्राफी कीजिए। इसके अलावा आप यमुनोत्री धाम, शनि मंदिर , गंगोत्री मंदिर , धराली , मुखवा , गंगनानी , सातताल (सत्तल) , बागोरी , हर्षिल , गरतांग गली , खरसाली , जानकीचट्टी , हनुमानचट्टी , सूर्यकुंड , दिव्यशिला आदि भी जा सकते हैं।
दयारा बुग्याल आने का सही समय (Best Time To Visit Dayara Bugyal)
दयारा बुग्याल ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन , दोनों तरह का ट्रैक है। यहां तीनों ऋतुओं (बसंत , ग्रीष्म और शीत ऋतु ) में जाया जा सकता है। बसंत ऋतु में यहाँ के विशाल घास के मैदान एकदम हरे – भरे हो जाते हैं और बुरांश व अन्य सुंदर जंगली फूलों के खिलने से सज जाते है। जबकि सर्दियों में यही मैदान बर्फ से ढक जाता है जो ट्रैक्टर्स को एक अलग ही अनुभूति करता है। बसंत ऋतु में यहां चरवाहे भी अपने मवेशियों के साथ पहुंच जाते हैं। बरसात के दो महीनों को छोड़कर पूरे वर्षभर यहाँ ट्रैकिंग की जा सकती है। जाड़ों में यहां बर्फबारी होती है जिस वजह से यह पूरा क्षेत्र बर्फ से ढक जाता है जो बेहद खूबसूरत दिखता है। स्कीइंग के शौकीन तो इसी समय यहाँ अपना शौक पूरा करते हैं। अगर आप उत्तरकाशी में एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए।
ध्यान रखने योग्य बातें ।
दयारा बुग्याल की ट्रेकिंग में लगभग पांच से छः दिन लग जाते हैं। शीतकाल में यहां बर्फबारी होती है और ठण्ड बहुत रहती है। इसीलिए आप अपने साथ गर्म कपड़े अवश्य रखिये। अच्छी क्वालिटी का जूता पहनिये। खाने -पीने का सामान , कुछ आवश्यक दवाइयाँ व पहचान पत्र अपने साथ अवश्य रखिये। किसी अनुभवी गॉइड के साथ ही सफर शुरू कीजिए। अगर आप अकेले ट्रैकिंग कर रहे हैं तो ग्रामीणों की छनियाँ के आस – पास ही अपने कैंप बनाएं। अगर आप उत्तरकाशी में एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए।
कैसे पहुँचें दयारा बुग्याल ( How To Reach Dayara Bugyal )
कितने दिन के लिए आए (Suggested Duration)
दयारा बुग्याल ट्रैक रूट में लगभग 6 से 7 दिन लग जाते हैं। मगर दयारा बुग्याल पहुँचकर एक अजीब सी शांति व सुकून का अनुभव होता है। यह पूरा ट्रैक आपको अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य , मखमली घास , सुन्दर जंगली फूलों , घने जंगलों , अनेक वन्यजीवों व हिमालयन पक्षियों से रूबरू कराता है। वैसे उत्तरकाशी के आस -पास भी कई धूमने लायक सुंदर जगहें है जैसे यमुनोत्री धाम, शनि मंदिर , गंगोत्री मंदिर , धराली , मुखवा , गंगनानी , सातताल (सत्तल) , बागोरी , हर्षिल , गरतांग गली आदि जहाँ आप जा सकते हैं। इसीलिए यहाँ आप अपने हिसाब से अपना समय बिता सकते हैं। अगर आप उत्तरकाशी में एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए।
