Bagnath Temple Bageshwar Uttarakhandd
जहाँ भगवान शिव बाघ और माता पार्वती गाय रूप में प्रकट हुई थी।


Bagnath Temple Bageshwar Uttarakhand : उत्तराखंड के बागेश्वर जिला मुख्यालय में सरयू व गोमती नदी के संगम में स्थित है बागनाथ मंदिर। भगवान शिव को समर्पित इस प्राचीन मंदिर की खासियत यह है कि यह उत्तर भारत का एकमात्र ऐसा प्राचीन शिव मंदिर है जो दक्षिण मुखी है और जिसमें शिव शक्ति की जलहरी पूर्व दिशा को है। यहाँ शिव – पार्वती एक साथ स्वयंभू रूप में जलहरी के मध्य विद्यमान हैं। हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार यहां भगवान शिव बाघ रूप में और माता पार्वती गाय रूप में प्रकट हुई थी। चूंकि भगवान शिव को बेलपत्र बेहद प्रिय हैं। इसीलिए बागनाथ मंदिर में उन्हें विशेष रूप से बेलपत्र अर्पित किये जाते हैं । इसके अलावा भगवान भोलेनाथ को कुमकुम , चंदन और बताशे भी चढ़ाये जाते है। खीर और खिचड़ी का भोग भी बागनाथ मंदिर में लगता है।
बागेश्वर को “उत्तर की काशी” भी कहा जाता है।
प्रसिद्ध व्याघ्रेश्वर या बागनाथ मंदिर के नाम पर ही इस नगर का नाम बागेश्वर पड़ा । माना जाता है कि बागनाथ मंदिर का निर्माण सातवीं शताब्दी में हुआ था जबकि मंदिर के वर्तमान स्वरूप का निर्माण पंद्रहवीं-सोलहवीं शताब्दी में चंद वंश के राजा लक्ष्मी चंद ने कराया था। पहले यह मंदिर काफी छोटा था। बाद में चंद वंश के राजा लक्ष्मी चंद ने इस मंदिर को भव्य रूप दिया। गोमती व सरयू नदी के संगम पर स्थित यह पवित्र स्थल ऋषि मार्कंडेय की तपोभूमि भी रही है। हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव यहां बाघ रूप में प्रकट हुए थे। इसलिए इसे “व्याघ्रेश्वर मंदिर” नाम से भी जाना जाता है। कालातंर में यही नाम बागेश्वर हो गया। शिव पुराण के मानस खंड के अनुसार इस नगर को शिव के गण चंडीश ने उनकी इच्छानुसार ही बसाया था। इस स्थान को “उत्तर की काशी” के नाम से भी जाना जाता है।
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ऋषि मार्कंडेय की तपोभूमि है बागेश्वर ।
बागनाथ मंदिर बागेश्वर ज़िले का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। पुराणों के अनुसार अनादिकाल में मुनि वशिष्ठ अपने कठोर तपबल से ब्रह्मा के कमंडल से निकली मां सरयू को धरती पर ला रहे थे। ब्रह्मकपाली पत्थर के पास ऋषि मार्कंडेय तपस्या में लीन थे। इसीलिये सरयू वहाँ से आगे नहीं बढ़ पा रही थी। धीरे -धीरे सरयू का जल उसी जगह पर इकठ्ठा होने लगा। इधर ऋषि वशिष्ठ को ऋषि मार्कण्डेय की तपस्या भंग होने का डर भी सताने लगा। उन्होंने इस समस्या से निजात पाने के लिए भगवान शिव की आराधना की। ऋषि वशिष्ठ की आराधना से प्रसन्न होकर भगवान शिव बाघ और माँ पार्वती गाय का रूप धारण कर उस जगह पर प्रकट हुए जहाँ ऋषि मार्कंडेय तपस्या में लीन थे। गाय के रंभाने की आवाज से ऋषि मार्कंडेय की आंखें खुली और वो बाघ के चंगुल से गाय को बचाने के लिए दौड़ पडे। ठीक उसी समय व्याघ्र ने शिव और गाय ने पार्वती का रूप धारण कर लिया। इसके बाद मां पार्वती और भगवान शिव ने ऋषि मार्कण्डेय को इच्छित वर और मुनि वशिष्ठ को आशीर्वाद दिया जिसके बाद सरयू आगे बढ़ गईं।
मकर संक्रांति को यहाँ लगता है भव्य उत्तरायणी मेला
हर साल मकर संक्रांति (14 या 15 जनवरी) को बागेश्वर में एक विशाल व भव्य उत्तरायणी मेला (कौथिक) आयोजित किया जाता है जिसमें दूर -दूर से श्रद्धालु पवित्र सरयू व गोमती नदियों के संगम में स्नान करने और बागनाथ महाराज का जलाभिषेक कर उनसे आशीर्वाद लेने पहुँचते हैं। इस मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये जाते है जिसमें उत्तराखंड की सभ्यता -संस्कृति , गीत -संगीत व नृत्य से लोगों को रूबरू कराया जाता है। मेले में दूर -दूर से व्यापारी भी पहुँचते है। उत्तरायणी मेला वाकई में देखने लायक होता है।बागेश्वर में बागनाथ मंदिर ठीक सरयू व गोमती नदी के संगम स्थल पर स्थित है। इसीलिए यह बहुत बड़ा तीर्थ भी है। इस दिन लोग दूर-दूर से यहाँ आकर सरयू व गोमती के संगम तट पर अपने बच्चों का मुडंन व जनेऊ संस्कार करते हैं। उसके बाद बागनाथ भगवान की पूजा – अर्चना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं । महाशिवरात्रि के दिन यहाँ विशेष पूजा -अर्चना की जाती है।
बागेश्वर आने का सही समय (Best Time To Visit In Kausani)
बागेश्वर धूमने का सही समय मार्च से लेकर जून तक और अक्टूबर से लेकर दिसंबर तक है। बागेश्वर में आप अपना नया साल मना सकते हैं । दिवाली व दशहरे के आसपास और गर्मियों की छुट्टियों के वक्त बागेश्वर का मौसम बहुत सुहाना रहता हैं । अगर आप बागेश्वर में एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए।
ध्यान में रखने योग्य बातें
बागनाथ मंदिर बहुत ही प्राचीन मंदिर व पवित्र तीर्थ स्थल है। इसीलिए मंदिर परिसर में मंदिर के नियमों का पालन कीजिए। जूते -चप्पल निर्धारित जगह पर रखें। मंदिर परिसर में शान्ति बनाएं रखें।
कैसे पहुँचें बागनाथ मंदिर बागेश्वर ( How To Reach Bagnath Temple )
कितने दिन के लिए आए (Suggested Duration)
बागेश्वर अपने आप में बहुत ही सुन्दर नगर है और उसके आस -पास भी कई सुंदर धूमने लायक जगहें है । बागेश्वर शहर के अलावा गरुड़ – बैजनाथ , कौसानी आदि जहाँ आप जा सकते हैं। इसीलिए यहाँ आप अपने हिसाब से अपना समय बिता सकते हैं।
क्यों आए बागेश्वर बागनाथ मंदिर
मौसम (Weather)
घाटी क्षेत्र होने के कारण बागेश्वर का मौसम गर्मियों में थोड़ा गरम रहता है। आप यहां मार्च से लेकर जून तक और सितंबर से लेकर दिसंबर तक कभी भी आ सकते हैं। अगर आप यहाँ एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए । फोटोग्राफी के लिए एक अच्छा सा कैमरा अपने साथ अवश्य रखें। ट्रैकिंग के शौक़ीन अपने साथ एक अच्छी क्वालिटी का जूता या स्पोर्ट शू अवश्य रखें।