Bagori Village In Harshil Valley Uttarkashi Uttarakhand
लकड़ी से बने खूबसूरत घरों व सेब बागानों के लिए प्रसिद्ध है हर्षिल घाटी का ये गाँव ।


Bagori Village In Harshil Valley Uttarkashi Uttarakhand : उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के उत्तरकाशी शहर से लगभग 76 किलोमीटर दूर स्थित है खूबसूरत हर्षिल घाटी । इसी हर्षिल घाटी में स्थित है एक शांत सुरम्य गाँव बगोरी । भागीरथी नदी के तट पर समुद्रतल से लगभग 648 मीटर की ऊंचाई पर स्थित बगोरी गाँव हर्षिल से करीब 1 किलोमीटर की दूरी पर बसा है । लकड़ी से बने खूबसूरत नक्काशीदार घर , लाजबाब पेंटिंग , लाल राजमा , सेब के बागान व भेड़ के ऊन से बने गर्म कपड़े हिमालयी क्षेत्र में बसे इस गाँव की ख़ास पहचान है। ठंडी जगह होने के कारण यहाँ भेड़ के ऊन से गर्म कपड़े बनाये जाते है। यह गाँव जाध भोटिया समुदाय के लोगों का बसेरा है। यह गाँव हिन्दू व तिब्बती सांझी संस्कृति की अनूठी मिशाल पेश करता है। गांव में मंदिर और बौद्ध मठ एक साथ है। सामने जीवनदायिनी भागीरथी नदी , चारों ओर बर्फ से ढकी चोटियाँ व देवदार के घने जंगल इसकी खूबसूरती को और निखारते हैं। गंगोत्री धाम के रास्ते में पड़ने वाले इस गाँव का गर्मियों में तापमान लगभग 15 से 20 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है जबकि जाड़ों में यह शून्य से नीचे चला जाता है।
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6 महीने वीरान रहता है ये गाँव।
हिमालयी क्षेत्र में स्थित होने के कारण गर्मियों में यहाँ का तापमान 15 से 20 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है जबकि जाड़ों में यह शून्य से नीचे चला जाता है क्योंकि जाड़ों में यहाँ भयंकर बर्फवारी होती है जिस कारण यहाँ रहना मुश्किल हो जाता है। उस समय यहां के सभी लोग गाँव को छोड़कर अन्य सुरक्षित जगहों में चले जाते है। पूरा गाँव एकदम वीरान हो जाता है जिस कारण लोग इसे भूतिया गाँव भी कहते हैं । लगभग 6 महीने बाद बर्फ के पिघल जाने के बाद अप्रैल माह में स्थानीय लोग वापस अपने घरों को लौटते हैं। यह बसंत ऋतु का समय होता है जब सेब के पेड़ों में सुन्दर -सुन्दर फूल खिलने लगते हैं। घर लौटने के बाद ये लोग अपने सेब के बागानों की देखभाल में व्यस्त रहते हैं। इस समय गंगोत्री धाम की यात्रा भी शुरू हो जाती है जिस कारण इस क्षेत्र में काफी चहल – पहल रहती है। चीन के करीब होने कारण यहाँ चाइनीज खाना हर घर में बनता है। बगोरी गाँव में पांडव नृत्य नाम का सांस्कृतिक उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है जिसमें कद्दू (सब्जी) की प्रतीकात्मक बलि दी जाती है।
क्या करें ?
अपनी भोटिया सभ्यता व संस्कृति को समेटे यह गाँव बेहद शांत है। यहाँ की प्रदूषण रहित ठंडी हवा , स्वच्छ निर्मल पानी का आनंद लीजिए। बगोरी गाँव में धूमें। उनकी सभ्यता व संस्कृति को करीब से देखें व जानें। सेब के बागान देखिये। भेड़ के ऊन से कपड़े बनते हुए देखिये। हर्षिल घाटी के खूबसूरत प्राकृतिक सौंदर्य का मजा लीजिए। आस – पास के क्षेत्रों में ट्रेकिंग का मजा लीजिए। जाड़ों में हर्षिल घाटी का तापमान शून्य से नीचे चला जाता है । इसीलिए गर्म कपड़े साथ रखना न भूलें। खूब फोटोग्राफी कीजिए। इसके अलावा आप गंगनानी , सातताल (सत्तल) , मुखवा , बागोरी आदि भी जा सकते हैं।
बगोरी गाँव आने का सही समय (Best Time To Visit In Bagori Village)
चारों तरफ हरे -भरे घने जंगल , नदी , ऊँचे – ऊँचे बर्फ से ढके पहाड़ , सेब बागान होने के कारण बगोरी गाँव का मौसम गर्मियों में भी सुहाना रहता है। आप यहां अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक कभी भी आ सकते हैं। अगर आप हर्षिल में एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए।।
ध्यान रखने योग्य बातें
जाड़ों में हर्षिल घाटी का तापमान शून्य से नीचे चला जाता है । इसीलिए गर्म कपड़े साथ रखना न भूलें। जाड़ों में बगोरी गाँव न आयें। बगोरी गाँव में पैदल चलने के लिए अच्छी क्वालिटी का जूता अवश्य पहनें। अगर आप हर्षिल / धराली में एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए ।
कैसे पहुँचें बगोरी गाँव ( How To Reach Bagori Village)
कितने दिन के लिए आए (Suggested Duration)
बगोरी गाँव अपने आप में बहुत ही सुन्दर प्राकृतिक जगह है । इसके अलावा भी गाँव के आस -पास कई धूमने लायक सुंदर जगहें है जैसे मुखवा , गंगनानी , सातताल (सत्तल) आदि जहाँ आप जा सकते हैं। इसीलिए यहाँ आप अपने हिसाब से अपना समय बिता सकते हैं। अगर आप हर्षिल / धराली में एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए ।