Lohaghat Champawat Uttarakhand
कश्मीर क्यों जाया जाए अगर इस दुनिया में कहीं स्वर्ग है तो वह यहां लोहाघाट में है


Lohaghat Champawat Uttarakhand : उत्तराखंड के चंपावत जिला मुख्यालय से 12 किमी दूर लोहवाती नदी के किनारे स्थित है ऐतिहासिक , धार्मिक और पौराणिक रूप से महत्वपूर्ण लोहाघाट जो एक शांत , सुरम्य और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर कुमाऊंनी शहर है। 1706 मीटर की ऊंचाई पर स्थित लोहाघाट में कई ऐतिहासिक धरोहरें हैं। लोहाघाट के प्राकृतिक सौंदर्य का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक चीनी व्यापारी पी बैरोन ने कहा था “कश्मीर क्यों जाया जाए अगर इस दुनिया में कहीं स्वर्ग है तो वह यहां लोहाघाट में है”। लोहाघाट की खास बात यह है कि इस शहर के आसपास कई पर्यटन स्थल हैं जैसे कोलीढेक झील , पंचेश्वर महादेव मंदिर , मानेश्वर मंदिर , देवीधुरा , गुरुद्वारा रीठा साहिब , एबॉट माउंट , वाणासुर का किला , मायावती (अद्वैत) आश्रम और फोर्टी विलेज आदि जो इस नगर की सुन्दरता और महत्व को और बढ़ा देते है।
चम्पावत का हृदयस्थल है लोहाघाट
लोहाघाट को चम्पावत जिले का “हृदय स्थल” भी माना जाता है क्योंकि यह एक प्रमुख व्यापारिक बाजार है। यहां आस -पास के कई गाँवों के ग्रामीण आकर अपनी जरूरत का सामान खरीदते हैं। लोहाघाट न केवल अपनी भव्य प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है बल्कि सांस्कृतिक , धार्मिक व ऐतिहासिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है। लोहाघाट की एक और खास बात है यहाँ की रामलीला , जो कुमाऊँ मंडल की सबसे पुरानी रामलीलाओं में से एक है। इसके अलावा पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है सिंचाई विभाग द्वारा निर्मित कोलीढेक झील (Koli Dhek Lake) जो लोहाघाट से सिर्फ 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। चारों तरफ हरियाली और ऊँचें -ऊँचें पेड़ों के बीच स्थित इस शांत , सुंदर झील में आप बोटिंग का आनंद उठा सकते हैं।
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गर्मियों में बुरांस के फूलों से सजा रहता है लोहाघाट
लोहाघाट देवदार , बुरांश , चीड़ और बांज के खूबसूरत पेड़ों व छोटी – छोटी पहाड़ियों से घिरा है। गर्मियों के मौसम में लोहाघाट चटक व सुर्ख लाल रंग के बुरांस के फूलों से भरा हुआ रहता है। यहाँ की हरी-भरी वादियाँ , पहाड़ी नदियाँ और शांति भरा वातावरण आपको एक अलग ही अनुभव प्रदान करता है। यह स्थान प्रकृति प्रेमियों , फोटोग्राफरों और ट्रैकिंग के शौकिनों के लिए आदर्श स्थल है। यहाँ ट्रैकिंग , बोटिंग आदि का आनंद आराम से लिया जा सकता है।
लोहाघाट आने का सही समय (Best Time To Visit In Lohaghat)
ओक , बुरांश और देवदार के ऊँचें -ऊँचें और घने जंगलों के बीच व पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण लोहाघाट का मौसम हमेशा सुहाना रहता है। आप मार्च से जून तक फिर सितंबर से दिसंबर तक यहाँ आ सकते हैं । वैसे यहाँ वर्ष के किसी भी महीने में आया जा सकता है।
ध्यान में रखने योग्य बातें
लोहाघाट देखने लायक खूबसूरत जगह है। खासकर मार्च – अप्रैल के महीने में लोहाघाट के आस -पास का पूरा जंगल बुराँश के सुर्ख लाल फूलों से भर जाता है जो देखने लायक होता है। अगर आप यहाँ एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए। फोटोग्राफी के लिए एक अच्छा सा कैमरा अपने साथ अवश्य रखें।
कैसे पहुँचें लोहाघाट ( How To Reach Lohaghat)
कितने दिन के लिए आए (Suggested Duration)
लोहाघाट अपने आप में बहुत ही सुन्दर कस्बा है और उसके आस -पास भी कई सुंदर धूमने लायक जगहें है जहाँ आप जा सकते हैं। इसीलिए यहाँ आप अपने हिसाब से अपना समय बिता सकते हैं।
क्यों आए लोहाघाट
मौसम (Weather)
पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण लोहाघाट का मौसम हमेशा ही सुहाना रहता है। आप यहां मार्च से लेकर जून तक और सितंबर से लेकर दिसंबर तक कभी भी आ सकते हैं। अगर आप लोहाघाट में कुछ दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए। फोटोग्राफी के लिए एक अच्छा सा कैमरा अपने साथ अवश्य रखें। ट्रैकिंग के शौक़ीन अपने साथ एक अच्छी क्वालिटी का जूता या स्पोर्ट शू अवश्य रखें।