Ramgarh Nainital Uttarakhand
रामगढ : प्राकृतिक सौन्दर्य , सुकून व शान्ति से भरा है ये कुमाऊँ के फलों का कटोरा रामगढ


Ramgarh Nainital Uttarakhand : चारों तरफ हरियाली ही हरियाली , सेब – नाशपाती – खुमानी के फलों से लदे पेड़ , सीढ़ीनुमा खेत , सर्पीले धुमावदार रास्ते , खुला नीला आसमान , पक्षियों का मधुर कलरव , सरसर कर बहती ठंडी हवा , साफ़ शुद्ध पानी , सामने विराट व भव्य हिमालय और सीधे सरल मिलनसार गाँव के लोग , यही पहचान है रामगढ़ की । उत्तराखंड राज्य के नैनीताल जिले में रामगढ़ एक प्राकृतिक रूप से बेहद समृद्ध , शांत , एकांत हिल स्टेशन है। “कुमाऊँ के फलों का कटोरा / The Fruit Bowl Of Kumaon” नाम से प्रसिद्द रामगढ़ विभिन्न प्रकार के पहाड़ी फलों के बाग -बगीचों से समृद्ध हैं। यहां पर आडू , सेव , खुमानी , पूलम , आलूबुखारा , नाशपाती आदि का बहुत अधिक मात्रा में उत्पादन होता है। यहाँ के फल व प्रसिद्द “पहाड़ी आलू” देश के कई हिस्सों में भेजे जाते हैं।
प्रसिद्द लेखकों की कर्मभूमि है रामगढ़
पल -पल कुछ नया करने को प्रेरित करती प्रकृति , स्वास्थ्यवर्थक प्रदूषण मुक्त हवा , ठंडा पानी व शांत – एकांत व सुरम्य वातावरण वाली यह भूमि अनेक लेखकों , चित्रकारों व कलाकरों की कर्मस्थली भी रही हैं। नोबेल पुरस्कार विजेता गुरु रवींद्रनाथ टैगोर ने “गीतांजलि” की रचना यही की थी। इसीलिए इस जगह आश्रम को “टैगोर टाप” नाम से पहचान मिली है। प्रसिद्ध कवियत्री महादेवी वर्मा भी रामगढ़ में रही थी। उनकी स्मृति में यहाँ महादेवी वर्मा सृजनपीठ पुस्तकालय भी है। उन्हें “लछमा” कहानी लिखने की प्रेरणा यही से मिली। इसके अलावा रामधारी सिंह दिनकर , सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन व सामाजिक कार्यकर्ता नारायण स्वामी समते अनेक प्रसिद्ध हस्तियों की भी यह कर्मस्थली रही हैं। मुक्तेश्वर से लगभग 24 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रामगढ़ से हिमालय की बर्फ से ढकी पर्वतमाला को साफ़ देखा जा सकता है। रामगढ़ दो भागों में बंटा हैं तल्ला रामगढ़ और मल्ला रामगढ़। मल्ला रामगढ़ थोड़ी ऊँचाई पर स्थित है और तल्ला रामगढ़ जो थोड़ा नीचे की ओर स्थित है। कभी इस स्थान पर अंग्रेजी सेना की छावनी हुआ करती थी। आज भी उस दौर के अवशेष वहाँ देखने को मिल जायेंगे।
क्या करें ?
काठगोदाम से रामगढ़ जाने वाले रास्ते में आपको एक से एक सुंदर नजारे देखने को मिल जाएंगे । इन सर्पीली सड़कों (बहुत घुमावदार व मोडों वाली सड़क) पर चलते हुए कहीं ऊंचे – ऊंचे पहाड़ तो कहीं एकदम घना जंगल , बुरांस के फूलों से लदे हुए पेड़ , आडू – खुमानी जैसे फलों के बगीचे और कहीं रोड के किनारे बैठ कर स्थानीय फलों को बेचते हुए स्थानीय युवक। छोटे – छोटे ढावों में पहाड़ी व्यंजनों का मजा लीजिए। खासकर आलू के गुटके , पहाड़ी रायता व पकौड़ियां चाय के साथ । रामगढ़ में पहाड़ी पगडंडियों में पैदल धूमें। हिमालय दर्शन करें । फोटोग्राफी का मजा लें। फलों के बगीचों को करीब से देखें। ताजे फलों का मजा लें। प्रदूषण मुक्त हवा , ठंडे पानी व शांत – एकांत व सुरम्य वातावरण का आनंद लें।
ध्यान में रखने योग्य बातें
आप यहां मार्च से लेकर जून तक और सितंबर से लेकर दिसंबर तक कभी भी आ सकते हैं। यहाँ हल्की वर्षा होने पर और दिसंबर -जनवरी में ठंड रहती हैं। इसीलिए अगर आप इस वक्त यहां आ रहे हैं तो गर्म कपड़े साथ में लाना न भूलें। अगर आप यहाँ एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए। फोटोग्राफी के लिए एक अच्छा सा कैमरा अपने साथ अवश्य रखें। ट्रैकिंग के शौक़ीन अपने साथ एक अच्छी क्वालिटी का जूता या स्पोर्ट शू अवश्य रखें।
अवधि
रामगढ़ में आप 2 दिन से लेकर एक सप्ताह तक आराम से बिता सकते हैं।
कैसे पहुंचें रामगढ़
काठगोदाम रेलवे स्टेशन से रामगढ़ लगभग 51 किलोमीटर दूर हैं। काठगोदाम रेलवे स्टेशन से भीमताल – भवाली होते हुए रामगढ़ पहुंचा सकता हैं। जबकि नैनीताल से रामगढ़ की दूरी 35 किलोमीटर हैं। नैनीताल से भी भवाली होते हुए रामगढ़ पहुंचा सकता हैं। रामगढ़ जाने के लिए प्राइवेट वाहन व बस आदि आराम से उपलब्ध हो जाते हैं। दिल्ली से रामगढ़ 353 किलोमीटर दूर हैं। दिल्ली से आप बस या ट्रेन से हल्द्वानी या काठगोदाम आ सकते हैं।