Hidimba Parvat In Sattal Uttarakhand
हिडिम्बा पर्वत : जहाँ पर्यावरणविद संत वानखंडी महाराज ने सहेज कर रखा हैं पारिस्थितिकी तंत्र को

Hidimba Parvat In Sattal Uttarakhand : भीमताल से लगभग 14 किलोमीटर दूर और नैनीताल से लगभग 25 किलोमीटर दूर , सातताल के पास स्थित हिडिंबा पर्वत प्राकृतिक रूप से बहुत समृद्ध व एकदम शांत पहाड़ी है। इस पहाड़ी पर पहुँचने के लिए सातताल की झील से लगभग 1.5 किलोमीटर की चढ़ाई चढनी पड़ती हैं। माना जाता है कि इस पहाड़ी का नाम महाभारत काल के एक पात्र पाण्डु पुत्र भीम की पत्नी हिडिंबा के नाम पर रखा गया है। वर्तमान में 1675 मीटर ऊंचाई पर स्थित इस पर्वत पर प्रसिद्ध पर्यावरणविद संत वानखंडी महाराज का निवास स्थान हैं। इसीलिए अब इस क्षेत्र को “वानखंडी आश्रम” के नाम से भी जाना जाता है। आध्यात्मिक गुरु वानखंडी महाराज की उम्र लगभग 109 साल है और वो आज भी इसी आश्रम में रहते हैं।
पर्यावरण संरक्षण को दृढ संकल्पित हैं वानखंडी बाबा
वानखंडी महाराज ने इस क्षेत्र में वन्य जीवों , अमूल्य वनस्पतियों , जड़ी -बूटियों , हरे -भरे पेड़ -पौधों के संरक्षण का प्रण लिया और इस क्षेत्र में एक वन्यजीव अभयारण्य का निर्माण किया। उसी का परिणाम हैं कि आज यह क्षेत्र अमूल्य प्राकृतिक संपदाओं से भरपूर हैं और विभिन्न प्रकार के जानवरों और पक्षियों का आश्रय स्थल है। यहाँ आप एक स्वस्थ व समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र को फलता -फूलता देख सकते हैं। हिडिम्बा पर्वत का हरा-भरा मनमोहक प्राकृतिक सौंदर्य प्रकृति प्रेमियों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करता है। वनखंडी आश्रम में आप इन्सान और वन्यजीवों के बीच एक शानदार सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व को प्रत्यक्ष रूप से देख सकते हैं।
हिडिंबा पर्वत पर रहती हैं हिडिंबा देवी
हिडिंबा पहाड़ी की सुरम्य व शांत चोटी में स्थित है भीम की पत्नी हिडिंबा देवी का मंदिर है। इसे “हिडिंबा धाम” भी कहते हैं। सन 1978 में वानखंडी महाराज पहली बार यहां आए और फिर यही के होकर रह गए। उन्होंने यहां हिडिंबा मंदिर की स्थापना की। यहां भारत माता का मंदिर भी है। इस जगह पर देश के सभी राज्यों से लाई गई मिट्टी है। इसके अलावा हिडिंबा धाम में महालक्ष्मी , महाकाली , महा सरस्वती के मंदिर भी है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार , हिडिंबा पर्वत पर हिडिंबा अपने भाई हिडिंब के साथ रहती थीं। अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने कुछ समय भीमताल में भी बिताया। इसी दौरान जब हिडिंबा ने भीम को देखा तो वो उन पर मोहित हो गईं। हिडिंब को युद्ध में मारने के बाद कुंती की सहमति से भीम ने हिडिंबा से विवाह कर लिया। बाद में उनकी एक संतान हुई जिसका नाम घटोत्कच था जो महाभारत के युद्ध में बड़ी वीरता के साथ लड़ा।
क्या करें
यह पहाड़ी रोमांच व ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए बहुत बढ़िया जगह हैं। अगर आप ट्रैकिंग के शौकीन हैं तो आप इस पहाड़ी की चोटी तक ट्रैकिंग भी कर सकते हैं। हिडिम्बा मंदिर में शांति से बैठ सकते हैं। जंगली जानवरों व पक्षियों की आवाज सुन सकते हैं। सुंदर प्राकृतिक दृश्यों का आनंद ले सकते हैं। शांत व सुरम्य वातावरण में सुकून से बैठे सकते हैं। ठंडी हवा के झोकों को महसूस करें। खूब फोटोग्राफी करें। शहरों की रोज़मर्रा की भागदौड़ भरी ज़िंदगी से दूर आप यहाँ ठंडी स्फूर्तिदायक व प्रदूषण रहित हवा , जंगली फूलों की मीठी खुशबू , मिट्टी की सौंधी सी खुशबू के बीच अपनी सकून भरी छुट्टियाँ बिता सकते हैं।
ध्यान में रखने योग्य बातें
वानखंडी महाराज के बनाये गए नियमों का पालन करें तथा पवित्र जगहों और परंपराओं का सम्मान करें। पवित्र वस्तुओं को छूने या उनकी तस्वीरें लेने से पहले अनुमति ले लें। अगर आप यहाँ एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए। फोटोग्राफी के लिए एक अच्छा सा कैमरा अपने साथ अवश्य रखें।
अवधि
इस पहाड़ी में आप अपने हिसाब से अपना समय बिता सकते हैं ।