Bhimeshwar Mahadev Temple Bhimtal Uttarakhand
महाभारत काल से जुड़ा हैं भीमेश्वर महादेव मंदिर का नाता

उत्तराखंड राज्य के भीमताल शहर में स्थित हैं द्वापर युग में बना भीमेश्वर महादेव मंदिर। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण लगभग 5000 साल पहले हुआ था यानी इस मंदिर की स्थापना महाभारत काल में हुई थी। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि पांडवों ने अपने अज्ञातवास के वक्त कुछ समय इसी जगह पर बिताया था। उसी समय पांडु पुत्र भीम ने अपनी शिव भक्ति से इस मंदिर का निर्माण किया था। इसीलिए इस मंदिर का नाम “भीमेश्वर महादेव” मंदिर रखा गया। यह मंदिर आज भी अपनी उसी धरोहर को संजोए हैं जिसकी नींव हमारे पूर्वजों ने रखी थी। यह लोगों की आस्था का केंद्र है। मान्यता है इस मंदिर में भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसीलिए प्रत्येक दिन यहां पर भक्तगण आकर महादेव के दर्शन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। विशेष अवसरों जैसे सावन के महीने या शिवरात्रि पर यहाँ महादेव की विशेष पूजा अर्चना होती हैं।
चंद वंश के राजा ने किया इस मंदिर का जीर्णोद्धार
माना जाता हैं कि 17वीं शताब्दी के आसपास चंद वंश के राजा बाज बहादुर ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। इस मंदिर में आज भी पांडवकालीन मूर्तियां रखी हैं। प्रत्येक महाशिवरात्रि पर यहां मेले का आयोजन किया जाता है। इस मंदिर में शिवलिंग के अलावा हनुमान , शनिदेव और मातारानी का भी मंदिर है।
क्या करें ?
भीमेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव की आराधना करें और उनका आशीर्वाद लें। कुछ पल महादेव के चरणों में बैठकर शांति व सुकून महसूस कीजिए ।
ध्यान में रखने योग्य बातें
भीमेश्वर महादेव मंदिर में मंदिर प्रशाशन द्वारा बनाये गये नियमों का पालन करें। जूते -चप्पल निर्धारित स्थान पर रखें। वर्षा होने पर यहाँ हल्की ठंड रहती हैं। इसीलिए गर्म कपड़े साथ में लाना न भूलें। अगर आप यहाँ एक – दो दिन रुकना चाहते हैं तो आने से पहले कोई Hotel Book कर लीजिए। फोटोग्राफी के लिए एक अच्छा सा कैमरा अपने साथ अवश्य रखें।
अवधि
भीमेश्वर महादेव मंदिर में अपना सुकून भरा कीमती समय आप अपने हिसाब से बिता सकते हैं ।